रविवार, 28 जून 2009

२६ जून, ऋतु गर्मी की आई!


पिछले प्रदर्शन के बाद थियेटरवाला द्वारा खजूर में अटका की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। दूसरी और प्रतिबिंब का नाटक रज्जो की शादी अंतिम दौर में है। इसका प्रदर्शन २ जुलाई को होना तय हुआ है। आज चौपाल में विशेष कार्यक्रम खजूर में अटका की रीडिंग का था। प्रकाश सोनी, कौशिक साहा, डॉ. उपाध्याय और अली भाई सबसे पहले पहुँचे। धीरे धीरे कल्याण, मेनका, सबीहा, संग्राम और नेहा भी पहुँच गए।

गर्मी का मौसम शुरू होने लगा है और एक माह बाद रमज़ान भी शुरू हो जाएँगे। इस दौरान प्रदर्शन बहुत ही कम होते हैं या लगभग नहीं होते। रमज़ान में तो प्रदर्शन बिलकुल ही बंद रहते हैं। रिहर्सल भी आमतौर पर नहीं होते हैं, स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों के कारण बहुत से लोग छुट्टी पर भारत या दूसरे देशों को चले जाते हैं। चौपाल में उपस्थिति कम हो जाती है। ए.सी. की सर्दी के बावजूद चाय पीने का मन बहुत कम लोगों का होता है। इसलिए चाय कुछ कम ही बनाई थी पर कम पड़ गई। कल्याण को चाय काफ़ी पसंद है पर आज उन्हें ही सब्र करना पड़ा।

अगले माह शायद खजूर में अटका की भूमिकाओं को निर्धारित कर दिया जाएगा। रज्जो... का रिहर्सल जारी है और उसका विशेष आकर्षण यह है कि इसमें मुख्य भूमिका फ़िल्म और टीवी कलाकार गुड्डी मारुति निभा रही हैं। आज ऊपर के चित्र में कल्याण और डॉ, साहब की फ़ोटो नहीं है। दाहिनी ओर के चित्र में रज्जो की शादी के कलाकार बाएँ से आदिल, मोहन जी, रिज़वी साहब, गुड्डी मारुति, मुस्तफ़ा और फ़ीरोज़।

शनिवार, 20 जून 2009

२० जून, बीते कल की समीक्षा आने वाले कल की तैयारी


इन टु आर्ट्स के सहयोग से थियेटरवाला की प्रस्तुति हम तुम और गैंडा फूल का प्रदर्शन संतोषजनक रहा। दर्शकों की उपस्थिति भी अच्छी रही पर संतोष और अच्छाई की कोई सीमा नहीं है। बेहतर से भी बेहतर जाना है तो किए गए काम की निरंतर समीक्षा ज़रूरी है। आज ज्यादातर बातें इसी विषय में हुईं कि जो कुछ हुआ उसे कैसे बेहतर किया जा सकता था। आने वाले दिनों में खजूर में अटका की तैयारी चल रही है और उसके पहले रिज़वी साहब प्रतिबिंब के बैनर तले रज्जो की शादी कर रहे हैं। ये दोनों ही नाटक हास्य व्यंग्य से भरपूर कामदी हैं।

आज की चौपाल का प्रारंभ हम तुम और गैंडा फूल की समीक्षा से हुआ। इसके बाद खजूर में अटका के कुछ दृश्य पढ़े गए। चाय के बाद प्रतिबिम्ब के बैनर के तले होने वाले नए नाटक रज्जो की शादी का रिहर्सल हुआ।

आज उपस्थिल लोगों में थे- डॉ. शैलेष उपाध्याय, प्रकाश सोनी, कौशिक साहा, मेनका, कविता, अश्विन, कल्याण, रिज़वी साहब, सबीहा और मुस्तफ़ा। कुछ नए मेहमान भी थे- नया आमिर, आदिल, फिरोज, मोहन जी और सपना। रिहर्सल एक डेढ़ बजे तक चला। जो लोग नाटक में नहीं थे वे समय से उठकर चले गए।

शनिवार, 13 जून 2009

१२ जून, कम उपस्थिति ज्यादा बातें।


यह सप्ताह हम तुम और गैंडा फूल के प्रदर्शन का है। अधिकतर रिहर्सल दुबई में ही चल रहे हैं। क्यों कि कलाकार दुबई के हैं। कुछ लोग भारत गए हैं या अन्य किसी देश। इस सबके चलते इस बार चौपाल में उपस्थित कम रही। बहुत से विषयों पर चर्चा हुई जिसमें सबसे पहले हबीब तनवीर तथा सड़क दुर्घटना में दिवंगत ओमप्रकाश आदित्य, नीरज पुरी और लाडसिंह गुर्जर के श्रद्धांजलि दी गई। फ़िल्म सीरियलो, नाटकों तथा फिल्मों की आधुनिक शैली व उनके बदलते रूप पर बातचीत हुई। पुराना मंच बनाम नया मंच पर लंबी बहस भी हुई।

कार्यक्रम के अनुसार आज चरणदास चोर का पाठ होना था पर किसी का वैसा मूड बना नहीं। आज उपस्थित लोगों में थे- प्रकाश, दिलीप परांजपे, मेनका, कौशिक, मैं और प्रवीण सक्सेना। एक नए मेहमान भी थे मुस्तफ़ा। कौशिक देर से आए थे। वे हम तुम की प्रकाश व्यवस्था और संगीत को लेकर प्रकाश से बात करते रहे। चौपाल थोड़ा देर से शुरू हुई थी। १ बजे खतम हुई। लंदन से तेजेन्द्र शर्मा और ज़किया ज़ुबैरी ने थियेटर वाला के लिए कुछ धनराशि भेजी थी वह आज उन्हें दे दी गई। इसका उपयोग अगले प्रदर्शन में हो सकेगा।

शनिवार, 6 जून 2009

५ जून, नई समस्याएँ नए दोस्त

यह सप्ताह कुछ विशेष समस्याओं के सुलझाने का था। जिस थियेटर में हम लगातार बुकिंग कर रहे हैं उसका प्रबंधन बदल गया है और अब चूँकि टेक्निकल स्टाफ़ का समय सुबह १० से ५ बजे तक का ही है, शाम को शो करने के हमें तकनीकी सहयोग के ओवर टाइम के पैसे अपने पास से देने होंगे। ओवर टाइम का मूल्य उतना ही है जितना एक दिन की थियेटर बुकिंग का। कुल मिलाकर यह कि शाम को शो करने के लिए अब हमें दुगना खर्च करना होगा। इस सबसे निबटने के सबने मिलकर दो तरीके खोजे हैं। ११ वाले शो की तारीख बढ़ाकर धनस्रोतों को बेहतर किया जाय और आगे की प्रस्तुतियों के लिए निमंत्रण-पत्र बंद कर दिए जाएँ। कुछ और भी विचार हैं। पर फिलहाल दो नाटक तैयार हैं 'हम तुम' और 'गेंदा फूल' (या गेंडाफ़ूल)। इन्हें अब ११ जून के स्थान पर १८ जून को मंचित होना है। आशा है तबतक सारी व्यवस्था हो जाएगी। पोस्टर तैयार हैं निमंत्रण पत्र का डिज़ाइन भी बन गया है। अच्छा है छपकर नहीं आ गया तिथि को बदलना जो है।

आज की चौपाल में कम लोग थे- रागिनी, मेनका, शांति, प्रकाश और कौशिक। दो नए लोग पहली बार आए थे। मनोज पाटिल और उनकी पत्नी बिंदु पाटिल। दोनों मराठी नाटकों के क्षेत्र में सक्रिय और अनुभवी हैं। ये ऐसे दंपत्ति हैं जो पति-पत्नी दोनों ही नाटकों के क्षेत्र में हैं। ऐसा काफ़ी कम देखने में आता है। चौपाल के कार्यक्रम का प्रारंभ अशोक चक्रधर के व्यंग्य जय हो की जयजयकार से शुरू हुआ जिसे कौशिक साहा ने पढ़ा, इसके बाद अनूप शुक्ला का व्यंग्य 'होना चियरबालाओं का' को प्रकाश सोनी ने पढ़ा। फिर खजूर में अटका का पहला अंक मिलजुलकर पढ़ा गया। शायद इसका मंचन सितंबर में होगा। प्रवीण जी का कैमरा आज जवाब दे गया इसलिए इस बार की कोई फ़ोटो नहीं हो पाई। इस बार चित्र के स्थान पर प्रस्तुत हैं 'हम तुम' और 'गेंदा फूल' के पोस्टर।