शनिवार, 28 अगस्त 2010

२७ अगस्त, गुजराती कहानियों का दिन







शुक्रवार चौपाल आज गुजराती कहानियों के नाम रही। रमेश उपाध्याय द्वारा प्रसिद्ध गुजराती लेखकों की बीस कहानियों के संकलन कथा भारती गुजराती कहानियाँ शीर्षक पुस्तक से कुछ कहानियों का पाठ डॉ. लता और डॉ. उपाध्याय ने किया। पाठ के बाद कहानियों पर चर्चा हुई।

आने वाले हिंदी दिवस के लिये विशेष क्या तैयार किया जाना है इस विषय पर भी बात हुई। आज डॉ. लता और मिलिंद तिखे बहुत दिनों बाद चौपाल में उपस्थित हुए। अन्य सदस्यों में डॉ उपाध्याय के अतिरिक्त अमीर, शुभजीत, दिलीप परांजपे, मैं और प्रवीण उपस्थित थे।


रविवार, 22 अगस्त 2010

२० अगस्त, कोर्टमार्शल का दिन


इस सप्ताह स्वदेश दीपक के नाटक कोर्ट मार्शल का पाठ होना था। चौपाल के प्रारंभ में नाट्य शास्त्र और भारतीय साहित्य के दार्शनिक पक्ष पर थोड़ी बातचीत भी हुई। धीरे धीरे सदस्य जुड़े। डॉ. उपाध्याय, सबीहा, शुभजीत, सुमित, अमीर, आमिर, कौशिक, सलाम, दिलीप परांजपे, प्रवीण जी और मैं कुल मिलाकर दस-ग्यारह लोग हो ही गए। रमज़ान के महीने में जब अधिकतर सदस्य इस्लाम धर्म का पालन करते हुए रोजे पर होते हैं उपस्थिति आमतौर पर कम रहती है। इस बार प्रकाश भी भारत गए हुए हैं शालिनी भी भारत में हैं इस सबको देखते हुए उपस्थिति ठीक रही। नाटक का पाठ हुआ और अंत में थोड़ी बातचीत के बाद सबने विदा ली।

रविवार, 15 अगस्त 2010

१३ अगस्त, पाठ सुल्तान का


समय था वर्षिकोत्सव के बाद वाले शुक्रवार का और सबके चेहरों पर उत्सव की सफलता स्पष्ट दिखाई दे रही थी। कार्यक्रम का प्रारंभ वार्षिकोत्सव के कार्यक्रम की समीक्षा से प्रारंभ हुआ। इसके बाद आमिर, सबीहा, कौशिक, दिलीप परांजपे और डॉ. उपाध्याय ने मिलकर नाटक सुल्तान का पाठ किया। बढ़ती हुई गर्मी की सुस्त दोपहर को चाय के साथ ताज़ा बनाते हुए आगे के कार्यक्रम की चर्चा भी हुई।


वार्षिकोत्सव में पुराने सदस्यों को स्मृति चिह्न प्रदान किये गए थे। इस समारोह को बचे हुए सदस्यों के साथ पूरा करते हुए चौपाल का संपूर्ण हुई। ऊपर के चित्र में बाएँ से डॉ.उपाध्याय, प्रवीण सक्सेना और मैं। फोटो कौशिक ने लिया था। दूसरे फोटो में आज उपस्थित सदस्य चाय के साथ चर्चा में- पीछे से नीली धारीदार टीशर्ट में मिलिंद तिखे, उनकी बायीं ओर से गोलाकार- कौशिक, अमीर, शालिनी, सबीहा, दिलीप परांजपे, मैं और डाक्टर उपाध्याय। फोटो प्रवीण जी ने लिया था।

रविवार, 1 अगस्त 2010

३० जुलाई, उत्सवदिन

थियेटरवाला के वार्षिकोत्सव की तैयारियाँ थी और प्रकाश सोनी का जन्मदिन भी तो भीड़ पर केक और इमरतियों का रंग छाया रहा। आज के कार्यक्रमों की सूची इस प्रकार थी-

१. मसूद अशआर की कहानी- कपास कहानी
२. मंशा याद की कहानी- पानी से घिरा पानी और
३. निदा फ़ाज़ली की कविताएँ
सबसे पहले पहुँचे सबीहा और प्रकाश, केक और इमरती लेकर।


फिर धीरे धीरे १८ सदस्य जमा हो गए। मसूद अशआर की कहानी पढ़ी मैंने और अब्दुल लतीफ़ मजगाँवकर साहब ने। पानी से घिरा पानी शालिनी ठाकुर ने पढ़ी और निदा साहब की कविताएँ प्रकाश ने सुनाई। आनेवाले वार्षिकोत्सव की विषय में बातचीत हुई और प्रकाश का जन्मदिन हंगामे के साथ मना। आज उपस्थित सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं- प्रकाश, सबीहा, लक्ष्मण, अब्दुल लतीफ, शाहबाज़, सलाम, अमीर, आमिर, डॉ. उपाध्याय, ज़रीन, कौशिक, शालिनी, शुभोजित, सुमित, मूफ़ी, नीलेश मैं और प्रवीण।