रविवार, 29 मई 2011

२७ मई, चौथा वार्षिकोत्सव

शुक्रवार चौपाल में इस सप्ताह चौथे वार्षिकोत्सव मनाया जाना था। शरद जोशी के व्यंग्य को समर्पित इस अवसर पर उनकी विभिन्न व्यंग्य रचनाओं का मंचन अथवा पाठ किया गया। कार्यक्रम के बाद केक काटा गया आर दोपहर का भोजन साथ किया गया। कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें यहाँ प्रस्तुत हैं।



शुक्रवार, 20 मई 2011

२० मई, वार्षिकोत्सव की तैयारी


आज का दिन वार्षिकोत्सव की तैयारी का था। इस आयोजन की तिथि २७ मई निश्चित हुई है। कुछ सदस्यों ने इसका अभ्यास चौपाल में किया और कुछ ने अपने अपने घरों में। इस बार निश्चय हुआ है एकल और जुगल प्रदर्शनों का। चौपाल में कुछ रचनाओं का पाठ भी हुआ- शरद जोशी का व्यंग्य- एक शंख कुतुबनुमा जिसका मंचन नागेश भोजने और मीरा ठाकुर करने वाले हैं। प्रकाश सोनी ने पढ़ी- यशपाल की कहानी- अखबार में नाम, हरिशंकर परसाईं का व्यंग्य सुमित गुप्ता ने पढ़ा- प्रेम की बिरादरी और ओ हेनरी की एक कहानी का हिंदी रूपांतर- छत पर का कमरा जिसे मीरा ठाकुर ने पढ़ा। मीरा के सौजन्य से आज सबको चाय के साथ हरी चटनी और पकौड़ों का अल्पाहार भी मिला। चित्र में- बाएँ से सुमित प्रकाश मैं नागेश मीरा और डॉ. उपाध्याय और श्री दिलीप परांजपे पकौडों के प्लेट सजाते हुए।

शुक्रवार, 13 मई 2011

१३ मई, यथासंभव, शरद जोशी के साथ


आज का दिन शरद जोशी के नाम रहा। चौपाल की शुरुआत सुस्त रही। सबीहा और प्रकाश के बाद धीरे धीरे लोग आने शुरू हुए। २७ मई को थियेटरवाला की स्थापना के ४ साल पूरे होने वाले हैं। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन होने वाला है। क्या विशेष होने वाला है यह अभी रहस्य बना के रखना है पर इस बार शरद जोशी के व्यंग्य संग्रह यथासंभव से ढेर से व्यंग्य लेखों का पाठ हुआ। आज उपस्थित लोगों में प्रकाश सोनी और सबीहा मझगाँवकर के साथ डॉ शैलेश उपाध्याय, दिलीप परांजपे, सुमित गुप्ता, मीरा ठाकुर, कौशिक साहा और नीरू थे। मैं और प्रवीण सक्सेना तो थे ही। चित्र में नीरू और कौशिक अनुपस्थित हैं। वे देर से पहुँचे थे।

रविवार, 8 मई 2011

६ मई, कविता, कहानी और नाटक

इस सप्ताह शुक्रवार चौपाल का आरंभ स्वरूपा राय के आगमन के साथ हुआ। इमारात के बच्चों को हिंदी पढ़ाने की समस्याओं से लेकर बात नई कहानियों तक पहुँची।

नाटक सत्र में सबसे पहले सबीहा पहुँचीं। बहुत दिनों के बाद अली भाई नजर आए फिर प्रकाश और सुमित भी आ गए। प्रकाश ने कुछ कविताएँ पढ़ीं और मैंने एक कहानी। २७ मई शुक्रवाल चौपाल का वार्षिकोत्सव का दिन है। तीन साल पहले इसी दिन पहली चौपाल लगी थी। इस अवसर पर सब कुछ न कुछ करने की तैयारी कर रहे हैं।

चित्र में बाएँ से प्रकाश अली भाई, सुमित, मैं और सबीहा। स्वरूपा कुछ पहले चली गई थीं इसलिये वे चित्र में नहीं दिखाई दे रहीं।