tag:blogger.com,1999:blog-3870386829494908108.post7252887152506190462..comments2022-11-26T00:38:38.890-08:00Comments on शुक्रवार चौपाल: २४ अप्रैल, धूप का टुकड़ापूर्णिमा वर्मनhttp://www.blogger.com/profile/06102801846090336855noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3870386829494908108.post-46227812260563308562009-04-26T06:03:00.000-07:002009-04-26T06:03:00.000-07:00पूर्णिमा जी.
सर्वप्रथम मेरा अभिवादन स्वीकार करें....पूर्णिमा जी.<br />सर्वप्रथम मेरा अभिवादन स्वीकार करें.<br />नियमित चलने वाली शुक्रवार चौपाल के माध्यम से आपने एक रचनात्मक बीड़ा उठाया है , निश्चित रूप से वह स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा. वैसे भी नाटकों का मंचन जहाँ एक ओर अपने आप में कला और भावनाओं की पराकाष्ठा होता है वहीँ प्रबुद्ध दर्शकों के लिए नाटक 'रूचि' के साथ ही अविस्मरणीय पल भी होते हैं.<br />आलेख में " निर्मल जी " का नाम पढ़ कर वे स्मृतियों में आगये .<br />- विजयविजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.com