शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

१६ जनवरी, बारिश के बावजूद

१६ जनवरी की चौपाल की शुरूवात ठीक नहीं रही। रात भर तेज़ बारिश हुई। सर्दी काफ़ी बढ़ गई। उसका पता भी ऐसे चला कि हमारा सहायक निज़ाम अपना जैकेट पहने दिखाई दिया। वह कभी जैकेट नहीं पहनता और बड़ी शान से कहता है सर्दी बूढ़ों को लगती है, मुझे सर्दी नहीं लगती। सो निज़ाम मियाँ जैकेट पहने बड़ा सा ब्रश लिए धड़ाधड़ छत का पानी निकाल रहे थे। यहाँ बारिश साल में तीन-चार दिन ही होती है इसलिए छतों के ढाल ठीक हों इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। खुले में जहाँ हम चौपाल के लिए बैठते है वहाँ भी पानी भरा हुआ था। निज़ाम जी बोले,
"यहाँ आज चौपाल नहीं लग सकती सबको मंदिर में बैठना होगा।"
"लेकिन मंदिर में भी तो पानी चला जाता है। मैंने अंदर जाकर देखा पानी के दो घेरे ही थे। काँच की दीवार छींटों पर जमी हुई धूल से बदरंग थी। निज़ाम ने 10-15 मिनट में सब दुरुस्त कर दिया।
यों तो चौपाल 10:30 पर शुरू होती है पर नाटकों की शृंखला के कारण सबीहा अपने अगले नाटक चौदह का रिहर्सल 9:30 से करना चाहती थी।

पिछले 4 दिनों से बुखार में हूँ, पर सोचा मूड ठीक करने का यही सबसे अच्छा तरीका है कि कपड़े बदलो और पहुँच जाओ सबके बीच। सबसे पहले मेनका पहुँची वह इस नाटक की मुख्य पात्र है। उसका रोल संभ्रांत परिवार की एक फ़ैशनेबल और नकचढ़ी महिला का है। फिर सबीहा और मूफ़ी भी आ गए। चौदह के रिहर्सल के बाद नाटक के पाठ के समय मैं चौपाल में शामिल हुई।

मंदिर में कोई कालीन नहीं है। टाइल भयंकर ठंडे थे चादर बिछाने के बावजूद मुझे काफ़ी सर्दी महसूस हुई। सोचा अब अपने कमरे में चलना चाहिए नहीं तो बुखार 5 दिन में भी ठीक नहीं होगा। इस तरह आज चौदह का रिहर्सल और जलूस का रिहर्सल छूट गया। इनके चित्र आज रह ही गए। पर कोई बात नहीं ये रिहर्सल सप्ताह के अन्य दिन भी होते रहेंगे। तबीयत ठीक रही तो अगले शुक्रवाले से पहले भी रिहर्सल के कुछ चित्र यहाँ डाल सकूँगी।
आज की अदरक वाली हिन्दुस्तानी चाय प्रकाश और सुनील ने बनाई। प्रकाश को तो आप जानते ही हैं एक दिन सुनील से भी परिचय हो जाएगा। परिचय तो सभी से कराना है पर धीरे धीरे। आज की गोष्ठी में प्रकाश, सुनील, डॉ उपाध्याय, सबीहा, मेनका, मुहम्मद अली, महबूब हसन रिज़वी, मूफ़ी, इरफ़ान, मीर, आमिर और कौशिक शामिल हुए। कुल मिलाकर ये कि बारिश के बावजूद गोष्ठी सफल रही।

हाँ चित्रों में लोगों से परिचय करवा दूँ पहले चित्र में बाएँ से डॉ.उपाध्याय, सबीहा और मूफ़ी। दूसरे चित्र में बाएँ से चश्मे में मुहम्मद अली, महबूब हसन रिज़वी, मेनका और डॉ.उपाध्याय। तीसरे चित्र में बाएँ से मूफ़ी, इरफ़ान, मीर, मैं, मुहम्मद अली (पूरे नहीं दिखते) और रिज़वी साहब(पीछे से)। कुछ लोगो के चित्र नहीं आ सके। खैर अगली बार...

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