शनिवार, 5 मार्च 2022

डॉ. लक्ष्मी शर्मा के साथ एक शाम


दुबई ४ मार्च २०२२ को ‘मनाजेल अल सफा’ टॉवर, बिजनेस बे, दुबई में, बुर्ज खलीफ़ा के बहुत समीप एक सुरमई साँझ यादगार बन आई। भारत से दुबई के दौरे पर आई डॉ. लक्ष्मी शर्मा की कहानियों पर चर्चा और समीक्षा का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात के रचनाकारों द्वारा पूरे जोश-ओ-खरोश से किया। इस कार्यक्रम की प्रेरणा आदरणीया पूर्णिमा वर्मन जी से मिली। कार्यक्रम का कार्यभार डॉ. आरती ‘लोकेश’ तथा स्नेहा देव ने सँभाला। स्नेहा देव ने आतिथ्य-सत्कार तथा जलपान की व्यवस्था की तो आरती ‘लोकेश’ ने कार्यक्रम के आयोजन, रूपरेखा व संगठन की।

श्री आलोक शर्मा ने मंच संचालन का कार्यभार बड़ी कुशलता से निभाया। स्नेहा देव जी के स्वागत भाषण के बाद डॉ. आरती ‘लोकेश’ ने लेखिका के जीवन-वृत्त से सबको अवगत कराया। प्रसिद्ध साहित्यकारा के मुख से उनकी लेखकीय यात्रा और रचनाधर्मिता के बारे में जानना बड़ा ही सुखद व रोचक अनुभव रहा। अपने वक्तव्य में डॉ. लक्ष्मी ने बताया कि एक लेखक में तीन बातों का होना अति आवश्यकक है- ‘ज्ञान, इच्छा, प्रयत्न’। बड़े दृष्टांतपूर्ण तरीके से उन्होंने तीनों का महत्त्व उपस्थित सभा को बताया।

डॉ. लक्ष्मी की सर्वाधिक लोकप्रिय कहानियों पर समीक्षा व चर्चा की गई। डॉ. नितीन उपाध्ये ने ‘मोनालिसा की सोहबत’ पर, अंजु मेहता ने ‘पूस की एक और रात’ पर, करुणा राठौर ने ‘प्रगल्भा’ पर, भारती रघुवंशी ने ‘ख़ते मुतवाज़ी’ पर, डॉ. आरती 'लोकेश' ने ‘इला न देणी आपणी’ पर तथा अंत में स्नेहा देव ने ‘रानियाँ रोती नहीं’ कहानी पर समीक्षाएँ प्रस्तुत कीं।  समीक्षकों के मन में उपजे कौतुहलों व जिज्ञासाओं को डॉ. लक्ष्मी ने बेहद शांत, सुमधुर तर्कों से शांत किया। तत्पश्चात डॉ. आरती ‘लोकेश’ के सद्यप्रकाशित कहानी-संग्रह 'कुहासे के तुहिन' का डॉ. लक्ष्मी के करकमलों से विमोचन किया गया। दुबई के लेखकों की पुस्तकें डॉ. लक्ष्मी को भेंटस्वरूप दी गईं। कार्यक्रम का समापन श्री विकास भार्गव के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। अपने वक्तव्य में श्री भार्गव ने डॉ. लक्ष्मी की कहानियों पर शार्ट्फ़िल्म बनाने तथा उनकी कहानियों का पुस्तक में समावेश करने की इच्छा जताई।

कार्यक्रम में डॉ. लक्ष्मी के आदरणीय पतिदेव, पुत्र शिवांग, पुत्रवधू अनुपमा, पौत्री वरेण्या  तथा श्री आलोक शर्मा जी की माताजी की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।

डॉ. लक्ष्मी ने कहा कि “भारत में बहुत से छोटे-बड़े साहित्यिक और अकादमिक कार्यक्रमों में शिरकत की है। साहित्य के बहुत से प्रतिष्ठित सम्माननीय लेखकों को सुना है, उनसे सम्वाद किया है। किन्तु कल दुबई के साहित्यिक बिरादरी के साथ हुआ ये छोटा सा आयोजन मन में अमिट छाप छोड़ गया। भारत से हजारों कोस दूर अरब के मरुस्थल में कुछ साहित्य समर्पित लोग जिस तरह से  मरुद्यान बन आखर पुष्प खिला रहे हैं, अद्भुत है।”

रिपोर्ट- डॉ. आरती ‘लोकेश’ 

शनिवार, 8 जनवरी 2022

रविवार ९ जनवरी २०२२, शारजाह में होने वाली विश्व हिंदी दिवस की गोष्ठी बहुत से सदस्यों के अस्वस्थ होने के कारण ऑनलाइन हो गयी। आलू के पराठे, कढ़ी और चावल का कार्यक्रम डूब गया लेकिन कवियों में उत्साह की कमी नहीं रही। ऑनलाइन होने का लाभ यह मिला कि इमारात के दूर दराज शहरों से भी लोग जुड़ सके। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं- दुबई से नितीन उपाध्ये, शब्बीर मुनव्वर, करुणा राठौर, स्नेहा देव, कौसर भुट्टो, आरती 'लोकेश', भारती रघुवंशी ‘प्रिया’, बंदना जैन, कुलभूषण कुलश्रेष्ठ, उर्मिला चौधरी, और विकास भार्गव। शारजाह से अंजू मेहता, मंजु सिंह, आलोक कुमार शर्मा और मैं, आबूधाबी से मीरा ठाकुर, अनिकेत मिटकरी, अरविंद भगानिया और अजित झा। इसके अतिरिक्त रामस्वरूप और दिनेश जो इस समय भारत में थे उन्होंने भारत से जुड़कर इमारात के हिंदी रचनाकारों के साथ सहयोग किया।

इस कार्यक्रम की परियोजना स्नेहा देव की थी, संयोजन आरती लोकेश का और जूम सहयोग आलोक कुमार शर्मा का रहा। कार्यक्रम का प्रारंभ पूर्णिमा वर्मन ने किया। प्रारंभिक सूचनाओं के बाद सरस्वती वंदन हम सबने आलोक कुमार शर्मा जी के मधुर स्वर में प्रस्तुत की। आरती गोयल लोकेश का संचालन सुगठित और समय को साथ लेकर चलने वाला रहा। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्नेहा देव ने सभी कविताओं को संक्षेप में अपने सुंदर शब्दों में बाँध लिया। कार्यक्रम सुरुचिपूर्ण विधि से लगभग दो घंटे में सम्पन्न हुआ।