सोमवार, 11 जून 2012

काव्य-संध्या के आकर्षक पल


पिछले कुछ महीनो से लगातार यात्राओं के कारण शुक्रवार चौपाल बंद सी है। लेकिन जो थोड़ा बहुत समय मिला है उसमें इमारात के भारतीय विद्यालयों के हिंदी अध्यापकों में छुपी रचना प्रतिभा को निकालकर बाहर लाने का अभूतपूर्व काम हो सका है। इस गुरुवार की शाम इन प्रतिभाओं को समर्पित एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री विश्वंभरनाथ पांडेय राहगीर बनारसी थे। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी और हिंदी तथा भोजपुरी साहित्य में लोक कवि के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान रखने वाले, अनेक सम्मानों से सुशोभित श्री राहगीर बनारसी जी पिछले कुछ दिनो से इमारात में अपनी बेटी के पास रह रहे हैं। अनेक बार विश्व का भ्रमण कर चुके इस अद्भुत रचनाकार ने अपने रोचक अनुभव सुनाकर उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम का आरंभ डैरिक रोस्टन ने अपनी मधुर आवाज में  सरस्वती वंदना से किया, सबने एक दूसरे का परिचय प्राप्त किया। दो प्रमुख वक्ताओं कुलभूषण व्यास ने प्रेरक कविताओं के संग्रह की योजना और अभिमन्यु गिरि ने सितंबर माह में होने वाली हिंदी प्रसार सभा की परियोजनाओं की सूचना दी जो  उपस्थित हिंदी प्रेमियों के लिये अत्यंत हर्ष की बात थी। पिछले अनेक सालों से ये दोनो हिंदी प्रेमी, हमारी राजभाषा  के विकास में महत्वपूर्ण योग दान दे रहे हैं। पूर्णिमा वर्मन ने संचालक के पद से बोलते हुए कहा कि अब संयुक्त अरब इमारात के हिंदी कवियों का एक संकलन निकलने का समय आ पहुँचा है और आने वाले सितंबर तक इसे तैयार हो जाना चाहिये। 

कविता पाठ का आरंभ श्री नंदी मेहता ने किया इसके बाद अभिमन्यु गिरि,  कुलभूषण व्यास, राजन सब्बरवाल, धर्मेन्द्र चौहान, डैरिक रोस्टन, मनोज शर्मा, राहुल तनेजा, श्रीमती अमृता कौर, मीरा ठाकुर,  श्री एन. एच. भोजने, पूर्णिमा वर्मन तथा अंत में राहगीर बनारसी सभी ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ  किया।  कार्यक्रम मेँ श्रीमती स्वरूप राय, श्रीमती कामना कटोच, श्रीमती मंजु सिंह, श्रीमती शालू चिंपा, श्रीमती ऋचा गौतम, श्रीमती मीना, श्री प्रवीण सक्सेना तथा अनुभव व इला गौतम सहित इमारात के भारतीय विद्यालयों के लगभग ४० हिंदी अध्यापक एवं उनके परिवार उपस्थित थे। यह गोष्ठी रात ११ बजे तक सानंद चलती रही। काव्य संध्या के अंत में मीरा ठाकुर द्वारा आयोजित जलपान ने सबको तृप्त किया।  

रविवार, 25 मार्च 2012

२३ मार्च, हिंदी प्रसार सभा के साथ

इस बार शुक्रवार चौपाल हिंदी प्रसार सभा के सदस्यों के साथ जमी। गोष्ठी का आरंभ कनक शर्मा ने नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ किया और बगीचे में सुंदर फूलों वाला एक पौधा रोपा। गोष्ठी में उपस्थित रहे अभिमन्यु गिरि, कनक व अशोक शर्मा, आलोक शर्मा मैं और प्रवीण सक्सेना। बातचीत के लिये महत्वपूर्ण विषय था अगले कार्यक्रम की तैयारी का। इसकी विस्तृत रूपरेखा और काम का बँटवारे का काम इस गोष्ठी में पूरा हुआ। कार्यक्रम में एक नाटक और कुछ संगीत शामिल कर के एक सांस्कृतिक प्रस्तुति बनाई गई है।

इसके अतिरिक्त अगले बोलचाल क्लब के विषय में बातचीत हुई। हिंदी प्रसार सभा की माह में एक गोष्ठी होती हैं जिसमें दिये गए विषय पर बोलने का अभ्यास कराया जाता है। गोष्ठियाँ साप्ताहिक छुट्टी के दिन यानी शुक्रवार की दोपहर को होती हैं। शाम तक कार्यक्रम समाप्त हो जाता है। पिछली गोष्ठी का विषय था- संवाद और नेतृत्व। गोष्ठी रोचक और मनोरंजक थी। अगली गोष्ठी का विषय मातृत्व है। सदा की तरह सुमन इसकी तैयारियों में व्यस्त हैं।  चित्र में बाएँ से प्रवीण, अभिमन्यु, कनक, मैं और आलोक जी। ऊपर के चित्र में आलोक और अशोक की विचार विमर्श में मग्न। ऊपर का  चित्र प्रवीण सक्सेना और नीचे का अशोक शर्मा के सौजन्य से।