इस बार शुक्रवार चौपाल हिंदी प्रसार सभा के सदस्यों के साथ जमी। गोष्ठी का आरंभ कनक शर्मा ने नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ किया और बगीचे में सुंदर फूलों वाला एक पौधा रोपा। गोष्ठी में उपस्थित रहे अभिमन्यु गिरि, कनक व अशोक शर्मा, आलोक शर्मा मैं और प्रवीण सक्सेना। बातचीत के लिये महत्वपूर्ण विषय था अगले कार्यक्रम की तैयारी का। इसकी विस्तृत रूपरेखा और काम का बँटवारे का काम इस गोष्ठी में पूरा हुआ। कार्यक्रम में एक नाटक और कुछ संगीत शामिल कर के एक सांस्कृतिक प्रस्तुति बनाई गई है।
इसके अतिरिक्त अगले बोलचाल क्लब के विषय में बातचीत हुई। हिंदी प्रसार सभा की माह में एक गोष्ठी होती हैं जिसमें दिये गए विषय पर बोलने का अभ्यास कराया जाता है। गोष्ठियाँ साप्ताहिक छुट्टी के दिन यानी शुक्रवार की दोपहर को होती हैं। शाम तक कार्यक्रम समाप्त हो जाता है। पिछली गोष्ठी का विषय था- संवाद और नेतृत्व। गोष्ठी रोचक और मनोरंजक थी। अगली गोष्ठी का विषय मातृत्व है। सदा की तरह सुमन इसकी तैयारियों में व्यस्त हैं। चित्र में बाएँ से प्रवीण, अभिमन्यु, कनक, मैं और आलोक जी। ऊपर के चित्र में आलोक और अशोक की विचार विमर्श में मग्न। ऊपर का चित्र प्रवीण सक्सेना और नीचे का अशोक शर्मा के सौजन्य से।
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