शनिवार, 30 अप्रैल 2011

२९ अप्रैल, आकाश की बेटी का दिन

चौपाल के साहित्य सत्र में स्वरूपा राय, मीरा ठाकुर और नागेश भोजने उपस्थित रहे। पिछले कुछ दिनों से इसमें हाइकु कार्यशालाएँ चलती रही हैं। मीरा अभी तक लगभग 100 हाइकु लिख चुकी हैं जबकि नागेश जी लगभग 30 और स्वरूप लगभग 10 हाइकु लिख चुके हैं। सबे अपने अपने हाइकु पढ़े और एक दूसरे के हाइकु के प्रति सुझाव भी दिये। नागेश भोजने ने अपनी दो मर्मस्पर्शी कविताओं का पाठ किया और अंत में सद्य प्रकाशित अभिव्यक्ति कथा महोत्सव 2002 की मुद्रित पुस्तक वतन से दूर में संकलित गौतम सचदेव की कहानी आकाश की बेटी का पाठ हुआ। नाटक सत्र में इस बार डॉ. उपाध्याय उपस्थित रहे, बाकी सदस्यों के अनुपस्थित रहने के कारण यह स्थगित रहा।

इस शुक्रवार हमें जल्दी में निकलना थो सो फोटो लेना रह गया। सोचा फोटो के बिना ही पोस्ट प्रकाशित कर दी जाय। लेकिन जब प्रकाशित हुई तब सूनी सूनी लग रही थी। फिर एक पुरानी फोटो निकाली जो पहले कभी प्रकाशित नहीं हुई थी उसे ही आज प्रकाशित कर रही हूँ। जाहिर है यह 29 अप्रैल को नहीं खींची गई।

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

२२. अप्रैल, मौसम का पहला गर्म दिन

इस बार नाटक सत्र की कार्यसूची में थीं- असगर वजाहत की कुछ लघुकथाएं और एक कहानी, फैज अहमद फैज के विषय में विश्वनाथ सचदेव का संस्मरण और आने वाली परियोजनाओं के संबंध में चर्चा।

साहित्य सत्र में मीरा ठाकुर की हाइकु साधना अच्छी चल रही है। लगता है कि साल पूरा होने से पहले उनका संग्रह पूरा हो जाएगा। नाटक सत्र का आरंभ बाहर बैठने से हुआ पर जल्दी ही सबको लगने लगा कि गर्मी बहुत ज्यादा है और दोपहर के बारह बजे बारामदे में बैठना सुखकर नहीं है। सो हम बोरिया बिस्तर समेटकर मंदिर में आगए। यह इस साल की पहली एसी गोष्ठी रही।

गोष्ठी में उपस्थित सदस्यों में से बाएँ से सबीहा मजगाँवकर, शुभजित, डॉ. उपाध्याय, मैं, मीरा ठाकुर और प्रकाश सोनी। यह फोटो बाहर बैठे हुए खींची गई थी। सुमित बाद में आया सो वह इसमें उपस्थित नहीं है।

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

१५ अप्रैल, मौसम का मज़ा

इस सप्ताह चौपाल के नाटक सत्र में खजूर से अटका की अलग अलग भूमिकाओं को कौन निभाएगा इसका निर्णय होना था। साथ ही इसके निर्माण के विषय में कुछ निर्णय लिये जाने थे। लेकिन किसी विशेष काम से अचानक प्रकाश के बाहर जाने के कारण काम आगे नहीं बढ़ सका। लोग धीरे धीरे पहुँचे पर उपस्थिति कम नहीं रही। हाँ साहित्य सत्र में मीरा ठाकुर की तबीयत ठीक न होने और नागेश भोजने व स्वरूपा राय की व्यस्तता के कारण सन्नाटा रहा।


हालाँकि काम कुछ विशेष नहीं हुआ पर मौसम सुहावना रहा। आसमान पर बादल छाए रहे और मनभावन हवा बहती रही। इस साल अप्रैल के महीने में पंद्रह साल में पहली बार वर्षा देखने को मिली है। लोगों का कहना है कि पिछले ७६ वर्षों से इमारात में अप्रैल के महीने में वर्षा नहीं देखी गई। लोग मौसम का आनंद ले रहे हैं और चौपाल भी आज बंदकमरे में एसी के शिकंजे से बाहर घास के मैदान पर जमी। चित्र में बाएँ से सुमित, कौशिक, डॉ. उपाध्याय, सबीहा, नीरू, मैं और प्रवीण सक्सेना।

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

७. अप्रैल, कुछ और कहानियों का पाठ


इस सप्ताह कार्यक्रम था उर्दू की कहानियाँ पढ़ने का। इसके साथ ही प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब के एक और प्रदर्शन के लिये पूर्वाभ्यास भी आरंभ करना था।

कुछ सदस्य एक फ़िल्म बनाने में लगे हैं। उन्हें भी कुछ विचार विमर्श करना था। इन सभी बातों के साथ इस बार की चौपाल जमी। सबसे पहले मीरा ठाकुर और नागेश भोजने पहुँचे। उनकी दो नई रचनाएँ पढ़ी जानी थीं।

धीरे नाटक सत्र के लोग आने लगे। सबसे पहले प्रकाश सोनी पहुँचे, फिर डॉ. उपाध्याय, उसके बाद कौशिक नीरू, सुमित, आमिर, सिरीन आदि पहुँचे। ऊपर के चित्र में बाएँ से डॉ उपाध्याय, कौशिक, सिरीन, नीरू, मीरा, पीछे छुपे हुए नागेश भोजने और प्रकाश।

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

१ अप्रैल, अमृता प्रीतम की कहानियाँ


इस सप्ताह कार्यक्रम था अमृता प्रीतम की कहानियों का। कुल मिलाकर उनकी छह कहानियाँ पढ़ी गईं। बृहस्पतिवार का वृत, और नदी बहती रही, यह कहानी नहीं, साहिबाँ आई थी, माँ शारदा और कुदरत की करवटें। आनेवालों में सबसे पहले पहुँची मीरा ठाकुर जो अपने ताजे लिखे १९ हाइकु सबके साथ बाँटे, उसके बाद पहुँचे प्रकाश सोनी और डॉ. उपाध्याय। कहानी पाठ आरंभ किया प्रकाश ने फिर मीरा ने दूसरी कहानी पढ़ी। इस बीच नीरू और सुनील पहुँच गए। सबसे बाद में कौशिक पहुँचे। बाकी कहानियाँ डॉ. उपाध्याय, नीरू, कौशिक और सुनील ने पढ़ीं।

सुनील ने भारत में भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी के विरोध में लाए जाने वाले लोकपाल विधेयक और उसके समर्थन में अन्ना हजारे द्वारा ५ अप्रैल को आमरण अनशन के विषय में जानकारी दी। अनेक साथियो ने निश्चय किया है कि वे भी ५ अप्रैल को उनके समर्थन में उपवास और प्रार्थना में रहेंगे। चित्र में बाएँ से डॉ. उपाध्याय, नीरू, मीरा ठाकुर, सुनील जसूजा और प्रकाश सोनी। जिस समय फोटो लिया गया मैं चाय बनाने गई थी, कौशिक तब तक पहुँचे नहीं थे और फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिये इसलिये ये तीनों चित्र में नदारद हैं।