चौपाल के साहित्य सत्र में स्वरूपा राय, मीरा ठाकुर और नागेश भोजने उपस्थित रहे। पिछले कुछ दिनों से इसमें हाइकु कार्यशालाएँ चलती रही हैं। मीरा अभी तक लगभग 100 हाइकु लिख चुकी हैं जबकि नागेश जी लगभग 30 और स्वरूप लगभग 10 हाइकु लिख चुके हैं। सबे अपने अपने हाइकु पढ़े और एक दूसरे के हाइकु के प्रति सुझाव भी दिये। नागेश भोजने ने अपनी दो मर्मस्पर्शी कविताओं का पाठ किया और अंत में सद्य प्रकाशित अभिव्यक्ति कथा महोत्सव 2002 की मुद्रित पुस्तक वतन से दूर में संकलित गौतम सचदेव की कहानी आकाश की बेटी का पाठ हुआ। नाटक सत्र में इस बार डॉ. उपाध्याय उपस्थित रहे, बाकी सदस्यों के अनुपस्थित रहने के कारण यह स्थगित रहा।
इस शुक्रवार हमें जल्दी में निकलना थो सो फोटो लेना रह गया। सोचा फोटो के बिना ही पोस्ट प्रकाशित कर दी जाय। लेकिन जब प्रकाशित हुई तब सूनी सूनी लग रही थी। फिर एक पुरानी फोटो निकाली जो पहले कभी प्रकाशित नहीं हुई थी उसे ही आज प्रकाशित कर रही हूँ। जाहिर है यह 29 अप्रैल को नहीं खींची गई।
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