रविवार ९ जनवरी २०२२, शारजाह में होने वाली विश्व हिंदी दिवस की गोष्ठी बहुत से सदस्यों के अस्वस्थ होने के कारण ऑनलाइन हो गयी। आलू के पराठे, कढ़ी और चावल का कार्यक्रम डूब गया लेकिन कवियों में उत्साह की कमी नहीं रही। ऑनलाइन होने का लाभ यह मिला कि इमारात के दूर दराज शहरों से भी लोग जुड़ सके। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं- दुबई से नितीन उपाध्ये, शब्बीर मुनव्वर, करुणा राठौर, स्नेहा देव, कौसर भुट्टो, आरती 'लोकेश', भारती रघुवंशी ‘प्रिया’, बंदना जैन, कुलभूषण कुलश्रेष्ठ, उर्मिला चौधरी, और विकास भार्गव। शारजाह से अंजू मेहता, मंजु सिंह, आलोक कुमार शर्मा और मैं, आबूधाबी से मीरा ठाकुर, अनिकेत मिटकरी, अरविंद भगानिया और अजित झा। इसके अतिरिक्त रामस्वरूप और दिनेश जो इस समय भारत में थे उन्होंने भारत से जुड़कर इमारात के हिंदी रचनाकारों के साथ सहयोग किया।
इस कार्यक्रम की परियोजना स्नेहा देव की थी, संयोजन आरती लोकेश का और जूम सहयोग आलोक कुमार शर्मा का रहा। कार्यक्रम का प्रारंभ पूर्णिमा वर्मन ने किया। प्रारंभिक सूचनाओं के बाद सरस्वती वंदन हम सबने आलोक कुमार शर्मा जी के मधुर स्वर में प्रस्तुत की। आरती गोयल लोकेश का संचालन सुगठित और समय को साथ लेकर चलने वाला रहा। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्नेहा देव ने सभी कविताओं को संक्षेप में अपने सुंदर शब्दों में बाँध लिया। कार्यक्रम सुरुचिपूर्ण विधि से लगभग दो घंटे में सम्पन्न हुआ।
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