- अमृतलाल नागर का व्यंग्य-नए वर्ष के नए मंसूबे
- हरिशंकर परसाईं का व्यंग्य- उखड़े खंभे
- दिलीप परांजपे का नाटक- रियेलिटी
कार्यक्रम का प्रारंभ रियेलिटी से हुआ जिसे स्वयं दिलीप परांजपे साहब, डॉ. साहब और सबीहा ने पढ़ा। अमृतलाल नागर का व्यंग्य प्रकाश ने पढ़ा और हरिशंकर परसाईं के व्यंग्य को अली भाई की रेडियोवाली जादुई दुनिया की आवाज़ मिली। कुछ नए संकल्प भी लिए गए। आगे से हर चौपाल में दो सत्र रहेंगे एक पाठ का और दूसरा अभिनय का। अभिनय के सत्र में एकल या छोटी एकांकियों की प्रस्तुति की जाएगी। एक लेख अभ्यास का भी रूपरेखा बनी। इस लेख का विषय सुझाया प्रकाश ने- "बुर्ज दुबई की सबसे ऊपर की मंज़िल पर मैं"। बाकी कल्पना लेखक के ऊपर छोड़ दी गई है। आप वहाँ कैसे पहुँचे कैसे अकले (या दुकेले या सपरिवार या मित्रों के साथ) वहाँ रह गए और फिर आपके साथ क्या हुआ इस सबकी कल्पना करते हुए लेख, व्यंग्य, एकांकी या कहानी चौपाल के सदस्यों को लिखनी है। शब्दों की संख्या १५०० से अधिक न हो। (शब्द संख्या का बंधन केवल अभिव्यक्ति में प्रकाशित होने के लिए है।) अभिव्यक्ति के लेखक या पाठक भी इस विषय पर लिखना चाहें तो उनका स्वागत है। इन रचनाओं का पाठ चौपाल में होगा और चुनी हुई रचना अभिव्यक्ति में प्रकाशित की जा सकती चुने हुए पाठों की ऑडियो रेकार्डिंग इस ब्लॉग पर देने का यत्न करेंगे।
इन संकल्पों के साथ चाय पी गई चाय के साथ सबीहा द्वारा भारत से लाया गया विशेष चिवड़ा भी था। हमेशा की तरह फोटो प्रवीण जी ने ली। फोटो में बाएँ से डॉ. उपाध्याय, प्रकाश सोनी, अली भाई, मैं और सबीहा। ओह ओह परांजपे साहब का फोटो तो आया ही नहीं। उनकी पत्नी भारत से आ रही थीं और वे उनको लेने हवाईअड्डे चले गए थे। आगे से ध्यान रखेंगे किसी सदस्य को जाना हो तो फोटो उससे पहले ले ली जाय।
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