शनिवार, 18 दिसंबर 2010

१० से १७ दिसंबर, गहमागहमी के दिन


यह सप्ताह लंबे अंतराल के बाद गहमागहमियों से भरा रहा। दो नाटकों के मंचन की तैयारी के साथ साथ भारत से पधारी डॉ सुरेखा ठक्कर द्वारा उनकी कहानी का भाव पाठ सुनने का सौभाग्य इमारात के साहित्य प्रेमियों को मिला। साथ ही काव्य रचना और आगामी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य के कार्यक्रमों की तैयारी शुरू हो गई।

शुक्रवार १० दिसंबर की गोष्ठी में पूर्णिमा वर्मन, प्रवीण सक्सेना, मीरा ठाकुर, नागेश भोजने, दिलीप परांजपे, सुप्रीत और प्रकाश सोनी ने भाग लिया। हाइकु के विषय में चर्चा हुई, भीष्म साहनी की कहानी सागमीट और शरद जोशी के व्यंग्य नाटक भक्त प्रह्लाद का पाठ किया गया।

बुधवार १५ दिसंबर को डॉ. सुरेखा ठक्कर के सम्मान में एक साहित्य संध्या का आयोजन किया गया। २८ वर्षों तक आकाशवाणी से जुड़ी सुरेखा ठक्कर संप्रति रायसोनी समूह के आई टी एम विश्वविद्यालय रायपुर में उपकुलपति के पद पर कार्यरत हैं। साहित्य संध्या में डॉ. सुरेखा ने अपनी कहानी 'परिचय' का भावपाठ किया। गोद ली गई एक बालिका की उपयोगितावादी परिणति इस कहानी को संवेदनात्मक धरातल पर गहराई से छूती है। इस कार्यक्रम में पूर्णिमा वर्मन, कुलभूषण व्यास्, अनुराधा, बबिता, कामना कटोच, नीता सोनी, राहुल तनेजा, मीरा ठाकुर, स्वरूपा राय, प्रवीण सक्सेना, इला प्रवीण, अनुभव गौतम, आन्या, सिद्धार्थ ठाकुर और अर्जुन उपस्थित रहे।

शुक्रवार १७ दिसंबर की शुक्रवार चौपाल में नागेश भोजने ने अपनी तीन कविताओं- आँखें, मन और पहचान, मीरा ठाकुर ने अपनी रचना इच्छा तथा पूर्णिमा वर्मन ने अपने दो गीत आवारा दिन तथा कोयलिया बोली का पाठ किया। इसके बाद सबने मिलकर हाउकु लिखने का अभ्यास किया। १३ जनवरी को आबूधाबी में दो नाटक खेलने की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। जिसमें एक असलम परवेज का दस्तक होगा और दूसरा के पी सक्सेना का खिलजी का दाँत। दोनो नाटकों पर बातचीत और पूर्वाभ्यास हुए। आज की चौपाल में मेरे साथ प्रकाश सोनी, कौशिक साहा, सबीहा मझगाँवकर, सलाम, शुभजीत, पूर्णिमा वर्मन और नागेश भोजने शामिल रहे।


प्रस्तुति- मीरा ठाकुर

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