शनिवार, 4 जुलाई 2009
३ जुलाई, आगे की तैयारियाँ
रज्जो की शादी अच्छी रही। कुछ स्थानीय कलाकारों के साथ मिलकर गुड्डी मारुति को प्रस्तुत करने का प्रतिबिंब का यह प्रयत्न कई मामलों में सफल कहा जा सकता है। शेख राशिद आडिटोरियम, जो यहाँ के जाने माने थियेटरों में से एक है, और लगभग 1000 लोगों के बैठने की क्षमता वाला है, में कोई प्रस्तुति रखना और दर्शकों को जुटा पाना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। हालाँकि यह एक प्रायोजित शो था तो प्रायोजकों का हस्तक्षेप सारे नाटक पर छाया रहा। नाटक 40 मिनट देर से शुरू हुआ, 15 मिनट तक प्रायोजकों की फ़िल्म चलती रही और प्रायोजक के भाषण के लिए सूत्रधार का अंतिम दृश्य कट गया जिससे पता ही न चला कि नाटक कब खत्म हुआ। दर्शक दीर्घा की सीढ़ियों पर बच्चों की अच्छी मटरगश्ती रही। फिर भी लोगों ने नाटक का मज़ा उठाया, हंसी के गुबार फूटे और माहौल मज़े का रहा।
3 जुलाई की चौपाल में हम इन्हीं बातों का मज़ा लेते रहे। गर्मी की छुट्टियाँ हैं, अनेक परिवार भारत या पाकिस्तान चले गए हैं सो उपस्थिति कम थी। चौपाल 10:30 पर शुरू हो जाती है पर 11:30 तक प्रकाश, सबीहा, मेरे और प्रवीण जी के सिवा कोई नहीं आया था। हम चारों रज्जो की शादी और पिछले नाटकों की समीक्षा-आलोचना करते रहे। फिर रिज़वी साहब, बिमान दा, इरफ़ान, मीर और अश्विन भी आ गए। बिमान दा ने कहा कि वे अगस्त में हमेशा के लिए भारत जा रहे हैं। सब उदास से थे। सबको आशा है कि मंदी का दौर खतम होते ही 2-4 महीनों में वे वापस लौटेंगे। बातों बातों में समय कब निकल गया पता नहीं चला। मौसम गर्म हो चला है। कोई चाय पीने के मूड में नहीं था। आज चौपाल भी लंबी नहीं चली। 12:30 बजे सब अपने-अपने घर को रवाना हो लिए।
हाँ आगे की तैयारियों में थियेटरवाला की ओर से किए जाने वाले 'खजूर में अटका' के लिए एमिरेट्स स्कूल के थियेटर में बुकिंग मिली है 2 अक्तूबर की। और रिजवी साहब प्रतिबिंब की ओर से मनोज बाजपेयी को लेकर अगस्त के दूसरे सप्ताह में 'भगतसिंह की वापसी' के मंचन की तैयारियों में लग गए हैं।
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