चौपाल में इस बार भरत याज्ञनिक के नाटक महाप्रयाण का पाठ हुआ। प्रकाश छु्ट्टी मनाकर दो सप्ताह के बाद भारत से लौटे हैं तो चौपाल में रौनक दिखाई दी। लवी और दीपक नाम के दो नये चेहरे भी थे। हमेशा उपस्थित रहने वाली सबीहा इस बार अनुपस्थित रहीं। मालूम नहीं नाटक राजनीतिक होने के कारण या उसमें गाँधी की उपस्थिति होने के कारण पाठ के बाद कुछ गरमागरम राजनीतिक बहसें भी हुईं। कुल मिलाकर चौपाल में रौनक रही। चित्र में बाएँ से- दिलीप परांजपे, मिलिंद तिखे, डॉ. शैलेष उपाध्याय, शुभजीत प्रकाश, लवी और दीपक। इसके अतिरिक्त आज चौपाल में मैं, प्रवीण सक्सेना और कौशिक साहा भी उपस्थित थे।
शनिवार, 4 सितंबर 2010
३ सितंबर, भरत याज्ञनिक का महाप्रयाण
चौपाल में इस बार भरत याज्ञनिक के नाटक महाप्रयाण का पाठ हुआ। प्रकाश छु्ट्टी मनाकर दो सप्ताह के बाद भारत से लौटे हैं तो चौपाल में रौनक दिखाई दी। लवी और दीपक नाम के दो नये चेहरे भी थे। हमेशा उपस्थित रहने वाली सबीहा इस बार अनुपस्थित रहीं। मालूम नहीं नाटक राजनीतिक होने के कारण या उसमें गाँधी की उपस्थिति होने के कारण पाठ के बाद कुछ गरमागरम राजनीतिक बहसें भी हुईं। कुल मिलाकर चौपाल में रौनक रही। चित्र में बाएँ से- दिलीप परांजपे, मिलिंद तिखे, डॉ. शैलेष उपाध्याय, शुभजीत प्रकाश, लवी और दीपक। इसके अतिरिक्त आज चौपाल में मैं, प्रवीण सक्सेना और कौशिक साहा भी उपस्थित थे।
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