आज का दिन कहानियों का दिन था। सबसे पहले प्रकाश और अमीर पहुँचे। थोड़ी ही देर बाद डॉ लता, सुमित, ऊष्मा और सुनील भी आ गए। सबसे पहले शरद जोशी की व्यंग्य रचना सितार सुनने की पोशाक पढ़ी गई, उसके बाद अमृता प्रीतम की कहानी अपना अपना कर्ज पढ़ी गई, और अंत में शरद जोशी का एक और व्यंग्यात्मक रेखाचित्र पारसी थियेटर। कहानियाँ सुमित और डॉ लता की भी कम मजेदार नहीं थीं पर वे उनके निजी जीवन से संबंधित थीं। लेखकों की कहानियाँ भी तो दैनिक जीवन से की कहानियों से ही निकलती हैं... कोर्ट मार्शल के लिये पात्रों का चयन होना था पर वह शायद अगले सप्ताह हो। चित्र में बाएँ से मैं, डॉ लता, अमीर, सुमित, प्रवीण, प्रकाश और ऊष्मा। फोटो सुनील ने लिया है।
शनिवार, 16 अक्टूबर 2010
१५ अक्तूबर, अमृता प्रीतम और शरद जोशी
आज का दिन कहानियों का दिन था। सबसे पहले प्रकाश और अमीर पहुँचे। थोड़ी ही देर बाद डॉ लता, सुमित, ऊष्मा और सुनील भी आ गए। सबसे पहले शरद जोशी की व्यंग्य रचना सितार सुनने की पोशाक पढ़ी गई, उसके बाद अमृता प्रीतम की कहानी अपना अपना कर्ज पढ़ी गई, और अंत में शरद जोशी का एक और व्यंग्यात्मक रेखाचित्र पारसी थियेटर। कहानियाँ सुमित और डॉ लता की भी कम मजेदार नहीं थीं पर वे उनके निजी जीवन से संबंधित थीं। लेखकों की कहानियाँ भी तो दैनिक जीवन से की कहानियों से ही निकलती हैं... कोर्ट मार्शल के लिये पात्रों का चयन होना था पर वह शायद अगले सप्ताह हो। चित्र में बाएँ से मैं, डॉ लता, अमीर, सुमित, प्रवीण, प्रकाश और ऊष्मा। फोटो सुनील ने लिया है।
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बहुत अच्छी प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं .