रविवार, 3 अक्तूबर 2010

१ अक्तूबर, महाप्रयाण का पूर्वाभ्यास एवं २ अक्तूबर को प्रदर्शन


इस शुक्रवार भरत याज्ञनिक के नाटक महाप्रयाण का रिहर्सल हुआ। इस नाटक के साथ थियेटरवाला ने कुछ नये प्रयोग शामिल किये हैं। नाटक का प्रारंभ पीछे पर्दे पर गाँधी जी के कुछ दृश्यों के साथ होता है। मूल नाटक खेला नहीं जाता है बल्कि अलग अलग माइकों पर पढ़ा जाता है। बीच की कुछ घटनाओं का मंचन किया गया है जिसमें गाँधी जी के बचपन की घटनाएँ शामिल हैं। पार्श्व संगीत और प्रकाश का प्रयोग कर के नाटक में जान डाली गई है। अंत के दृश्य में घटनाएँ पर्दे पर दिखाई देती हैं। प्रार्थना सभी का दृश्य बापू को गोली लगना और अंतिम संदेश का पार्श्व से सुनाई देना। ये सब नाटक की प्रस्तुति को रोचक बनाते हैं।

यह नाटक दुबई में भारतीय कौंसलावास के प्रेक्षाग्रह में २ अक्टूबर को खेला गया औॅर काफी सराहा भी गया। दुर्भाग्य से कैमरा घर पर रह गया इसलिये तुरंत कोई फोटो नहीं पोस्ट कर रही हूँ पर हमारी फोटोग्राफर आलिया के खींचे गए फोटो जैसे ही फेसबुक पर आएँगे यहाँ लिंक देने का प्रयत्न करूँगी। १ अक्तूबर को पूर्वाभ्यास के कुछ चित्र डा.उपाध्याय ने लिये थे इसमें से २ यहाँ प्रस्तुत हैं।

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