शुक्रवार चौपाल में इस सप्ताह पर्व की गुनगुनाहट रही। साहित्य सत्र में सुबह नागेश भोजने और मीरा ठाकुर पहुँचे। दोनो ने होली पर हाइकु लिखकर दिन का शुभारंभ किया।
नाट्य सत्र में सबसे पहले पहुँचने वालों में थे सबीहा और डाक्टर उपाध्याय। फिर प्रकाश और आमिर पहुँचे। धीरे धीरे कौशिक, नीरू, सुमित, नीलेश और समीर भी आ गए। कार्यक्रम का प्रारंभ गोपाल प्रसाद व्यास की हास्य कविताओं से हुआ। फिर मैंने अपनी कविता सुनाई रंग और फिर मीरा और नागेश जी ने अपने अपने हाइकु सुनाए।
मीरा काजूकतली का एक डिब्बा लेकर आई थीं। साथ ही था एक डिब्बी में लाल गुलाल। संभ्रांत सी होली गुलाल के साथ हो गई। और चाय के साथ मिठाई नमकीन के साथ चौपाल पूरी हुई। दाहिनी ओर चित्र में बाएँ से नीरू, सबीहा, डॉ. उपाध्याय, आमिर, समीर, सुमित, पीछे की ओर छुपे हए नागेश भोजने, नीलेश, कौशिक और प्रकाश।
नाट्य सत्र में सबसे पहले पहुँचने वालों में थे सबीहा और डाक्टर उपाध्याय। फिर प्रकाश और आमिर पहुँचे। धीरे धीरे कौशिक, नीरू, सुमित, नीलेश और समीर भी आ गए। कार्यक्रम का प्रारंभ गोपाल प्रसाद व्यास की हास्य कविताओं से हुआ। फिर मैंने अपनी कविता सुनाई रंग और फिर मीरा और नागेश जी ने अपने अपने हाइकु सुनाए।
मीरा काजूकतली का एक डिब्बा लेकर आई थीं। साथ ही था एक डिब्बी में लाल गुलाल। संभ्रांत सी होली गुलाल के साथ हो गई। और चाय के साथ मिठाई नमकीन के साथ चौपाल पूरी हुई। दाहिनी ओर चित्र में बाएँ से नीरू, सबीहा, डॉ. उपाध्याय, आमिर, समीर, सुमित, पीछे की ओर छुपे हए नागेश भोजने, नीलेश, कौशिक और प्रकाश।
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