इस सप्ताह चौपाल में प्रेमचंद गाँधी के नाटक एक अनूठी प्रेम कहानी का दूसरा भाग पढ़ा जाना था। मालूम नहीं इस बार क्यों थियेटरवाला की कार्यक्रम सूचना वाली ईमेल नहीं पहुँची। साहित्य सत्र के कुछ प्रमुख सदस्य भारत गए हुए हैं, लगा था कि वह सत्र स्थगित हो जाएगा। हालाँकि नीता सोनी का फोन आया था, वे आने का समय निकाल सकी थीं, लेकिन फिर यही तय हुआ कि हम अगली बार मिलें। मैं भी आराम से अभिव्यक्ति का कुछ काम निबटाने बैठी थी कि प्रकाश सोनी, डा. शैलेष उपाध्याय और शुभजित आ पहुँचे। फिर तो जम गई चौपाल। थोड़ी देर में सबीहा और सु्प्रीत भी आ पहुँचे। नाट्यपाठ शानदार रहा। २३ मई को थियेटरवाला का स्थापना दिवस है। इसके उपलक्ष्य में एक नाटक और रात्रिभोज के कार्यक्रम का विचार है। इस अवसर पर कौन सा नाटक खेला जाए इस पर निर्णय अभी नहीं लिया गया है पर हो सकता है कि अनूठी प्रेम कहानी ही आकार ले। चित्र में बाएँ से शुभजीत, मैं, सबीहा, सुप्रीत (खड़े होकर पढ़ते हुए, प्रकाश सोनी और डॉ. उपाध्याय। चित्र प्रवीण सक्सेना ने लिया।
"नाट्यपाठ" और २३ मई को थियेटरवाला में एक नाटक के मंचन हेतु मेरी बधाइयां स्वीकारें ।
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