१७ दिसंबर को भारतीय दूतावास, आबूधाबी में संक्रमण और गैंडाफूल के मंचन का कार्यक्रम है। इनके पूर्वाभ्यास के लिए सबको ११ तारीख की सुबह साढ़े दस बजे मिलना था। लेकिन... एक तरफ मौसम कुछ सुस्त रहा और कलाकारों की व्यस्तता कुछ तेज़। संक्रमण में माँ की भूमिका निभानेवाली कलाकार सबीहा छुट्टी पर भारत में हैं उनके स्थान पर रागिनी अभिनय करेंगी। इस परिवर्तन के कारण लगातार रिहर्सलों की ज़रूरत है। गेंडाफूल की एक कलाकार कविता भी भारत की यात्रा पर जाने वाली हैं। अगर ऐसा हुआ तो उनका स्थान मेनका लेंगी। सब अनुभवी कलाकार हैं पर संवादों को याद करना और उसमें घुलकर अभिनय का बाहर आना इसमें समय लगता है।
पिछले एक कार्यक्रम से टीम को संतोष नहीं हुआ था। आशा है यह कार्यक्रम उससे बेहतर रहेगा। सारे कलाकार न हों तो पूर्वाभ्यास ढंग से नहीं होता। इस कारण आज भी बाकी कलाकार अभ्यास की मनःस्थिति तक नहीं पहुँच सके। प्रकाश ने नेमिचंद्र जैन द्वारा किया गया मोहन राकेश के नाटकों का संग्रह खोला और आधे अधूरे का पाठ शुरू किया। कुछ देर बाद मैं पहुँची फिर मेनका और प्रवीण जी भी आ गए। गेंडाफूल की डावाँडोल परिस्थितियों को देखते हुए ज़रूरी समझा गया कि इसकी स्क्रिप्ट की फोटोकॉपी मेनका को दे दी जाय। प्रकाश उसकी फोटोकॉपी कराने बाहर गए। इस बीच डॉ. उपाध्याय और मैने हरिशंकर परसाईं की कुछ व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। प्रकाश लौटे तो बारिश के हल्के छींटे गिरने लगे थे। मैं चाय बनाने के लिए उठी और मेनका व प्रकाश गेंडाफूल का पाठ करने लगे। फ्रिज में अदरक नहीं थी सो इस बार सिर्फ इलायची से काम चलाना पड़ा। इमारात में चाय तो सभी पीते हैं पर बारिश का मज़ा कभी कभी ही आता है। इस दृष्टि से आज का दिन सफल रहा।
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