शुक्रवार, 19 मार्च 2010

१९ मार्च, मल्हार के साथ बातचीत में


इस सप्ताह नियत कार्यक्रम के अनुसार शरद जोशी के नाटक एक था गधा उर्फ अल्लादाद खाँ का पाठ होना था। मौसम गरम होने लगा है। सबके बैठने का प्रबंध बाहर ही था लेकिन आज ऐसा लगा कि शायद बाहर गोष्ठी करने का यह इस मौसम का अंतिम दिन है। सबसे पहले डॉ. उपाध्याय आए, उन्होंने बताया कि सबीहा आज व्यस्त हैं और प्रकाश किसी व्यस्तता के कारण देर से आने वाले हैं। थोड़ी देर में डॉ. लता पधारीं और चिकित्सा की दुनिया में होने वाली देशी विदेशी सेमीनारों पर एक रोचक वार्तालाप सुनने का अवसर मिला। थोड़ी देर में प्रकाश आ गए। क्या हम नाटक का पाठ शुरू करें? संवाद पढ़ने वाले सभी लोग तो नहीं आए थे।


शायद ऊष्मा आज न भी आए तो हमें पाठ शुरू कर देना चाहिए इतनी बात हुई ही थी कि ऊष्मा, तृप्ति और मयूरा आ गयीं। वे मल्हार नामक संगीत संस्था की सदस्या हैं, जो अक्सर संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहते हैं। संस्था के अध्यक्ष जोगीराज सिकिदार हैं। वे इस बार सूफ़ी संगीत पर आधारित एक कार्यक्रम करना चाहते हैं जिसके कुछ अंश नाट्य आधारित होंगे। अगर यह योजना कार्यान्वित हुई तो शायद थियेटरवाला इसमें नाट्य सहयोग करेंगे। थोड़ी देर में कौशिक भी पहुँच गए। सारा समय इसके विभिन्न पहलुओं पर बातचीत करते हुए गुज़रा और नाट्य पाठ नहीं हो सका। शायद नाटक हम अगली बार पढ़ेंगे। चित्र में बाएँ से तृप्ति, डा.लता, डॉ.उपाध्याय, ऊष्मा, प्रकाश, मैं और मयूरा। जिस समय फोटो ली गई उस समय तक कौशिक नहीं आए थे इसलिए वे चित्र में नहीं हैं। अलबत्ता ऊष्मा का कॉफी मग उनके साथ ही चाय से पहले हाजिर हो गया था जो मेज की शोभा बढ़ा रहा है।

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