रविवार, 15 अगस्त 2010

१३ अगस्त, पाठ सुल्तान का


समय था वर्षिकोत्सव के बाद वाले शुक्रवार का और सबके चेहरों पर उत्सव की सफलता स्पष्ट दिखाई दे रही थी। कार्यक्रम का प्रारंभ वार्षिकोत्सव के कार्यक्रम की समीक्षा से प्रारंभ हुआ। इसके बाद आमिर, सबीहा, कौशिक, दिलीप परांजपे और डॉ. उपाध्याय ने मिलकर नाटक सुल्तान का पाठ किया। बढ़ती हुई गर्मी की सुस्त दोपहर को चाय के साथ ताज़ा बनाते हुए आगे के कार्यक्रम की चर्चा भी हुई।


वार्षिकोत्सव में पुराने सदस्यों को स्मृति चिह्न प्रदान किये गए थे। इस समारोह को बचे हुए सदस्यों के साथ पूरा करते हुए चौपाल का संपूर्ण हुई। ऊपर के चित्र में बाएँ से डॉ.उपाध्याय, प्रवीण सक्सेना और मैं। फोटो कौशिक ने लिया था। दूसरे फोटो में आज उपस्थित सदस्य चाय के साथ चर्चा में- पीछे से नीली धारीदार टीशर्ट में मिलिंद तिखे, उनकी बायीं ओर से गोलाकार- कौशिक, अमीर, शालिनी, सबीहा, दिलीप परांजपे, मैं और डाक्टर उपाध्याय। फोटो प्रवीण जी ने लिया था।

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