आज का दिन वार्षिकोत्सव की तैयारी का था। इस आयोजन की तिथि २७ मई निश्चित हुई है। कुछ सदस्यों ने इसका अभ्यास चौपाल में किया और कुछ ने अपने अपने घरों में। इस बार निश्चय हुआ है एकल और जुगल प्रदर्शनों का। चौपाल में कुछ रचनाओं का पाठ भी हुआ- शरद जोशी का व्यंग्य- एक शंख कुतुबनुमा जिसका मंचन नागेश भोजने और मीरा ठाकुर करने वाले हैं। प्रकाश सोनी ने पढ़ी- यशपाल की कहानी- अखबार में नाम, हरिशंकर परसाईं का व्यंग्य सुमित गुप्ता ने पढ़ा- प्रेम की बिरादरी और ओ हेनरी की एक कहानी का हिंदी रूपांतर- छत पर का कमरा जिसे मीरा ठाकुर ने पढ़ा। मीरा के सौजन्य से आज सबको चाय के साथ हरी चटनी और पकौड़ों का अल्पाहार भी मिला। चित्र में- बाएँ से सुमित प्रकाश मैं नागेश मीरा और डॉ. उपाध्याय और श्री दिलीप परांजपे पकौडों के प्लेट सजाते हुए।
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