शनिवार, 22 अक्टूबर 2011

२१ अक्तूबर, एक बहस और

इस शुक्रवार को चौपाल में बहुत महीनों बाद बहुत से लोग जुटे। बहुत से लोगों को देखना अच्छा लगता है। लेकिन अच्छा लगने से आगे बढ़कर कुछ कर गुजरने के लिये जिस लगन और इच्छाशक्ति की जरूरत होती है वह पिछले कई महीनों से देखने में नहीं आरही है। शायद बहुत से काम के बाद एक लंबे विश्राम का समय है।  आशा करें कि सब इस विश्राम के विवर से बाहर निकलें और कर्मठता के शिखर पर चढ़ें।



नाटकों के पूर्वाभ्यास और उनके मंचन के बीच सैकड़ों समस्याएँ और उनके बहुत से हल। बहुत सी शिकायते बहुत से सवाल, बहुत से वादे बहुत से जवाब।  ऐसा नहीं कि इससे पहले ये बातें हुई नहीं फिर भी बार बार बातों की गुंजाइश बनी रहती है। कुछ आगे की योजनाएँ बन गईं। बातें सफल हुईं या असफल यह समय बताएगा और योजनाएँ आकार लेती हैं या नहीं यह भी।

कुल मिलाकर रोचक बात यह रही कि अली भाई और प्रकास सोनी ने एक अनूठी प्रेम कहानी के पहले अंक का पहला दृश्य पढ़ा जो सुनने में बहुत रोचक लगा। आज उपस्थित लोगों में थे- प्रकाश सोनी, अली भाई, डॉ. उपाध्याय, सबीहा, मेनका, सादिया, रायन, संजय ग्रोवर, सुमित, राजन सभरवाल, कल्याण, सलाम, मैं और प्रवीण।

शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

१४ अक्तूबर, एक कदम आगे?

आशा थी कि पूर्वाभ्यास इस सप्ताह एक कदम आगे बढ़ेगा। पर ऐसा हुआ नहीं। समूह के बहुत से सदस्य व्यस्त रहे। राहुल अपनी टेनिस की टीम के साथ भारत में हैं, प्रकाश मल्हार के साथ ओ गंगा में व्यस्त हैं, डा. साहब की एक आवश्यक मीटिंग आ पड़ी और कुछ न कुछ के कारण कुछ और लोग नहीं आए।

सुबह का पहला साहित्य सत्र बहुत दिनों बाद अच्छा रहा। नागेश भोजने और मीरा ठाकुर की कुछ नई कविताओं का पाठ हुआ। कुछ स्वरचित कविताएँ राजन सभवाल ने भी सुनाईं। निदा साहब की कुछ ग़ज़लें, एक लेख और कुछ छंदमुक्त कविताएँ पढ़ी गईं। ग़जलें और नज्में अली भाई और राजन सभरवाल ने मिलकर पढ़ीं। लेख मीरा ठाकुर और नागेश भोजने ने पढ़ा।

कुछ पुराने साथियों से मिलने का सौभाग्य मिला। संजय ग्रोवर और क्रिस्टोफ़र साहब से बहुत दिनों बाद मिलना हुआ। उन्होंने नाटक का एक दृश्य पढ़ा। नागेश भोजने ने कुछ पाठ अभ्यास किया और सिद्धार्थ ठाकुर ने राजन जी के साथ एक साक्षात्कार के लिये फोटो खिंचवाए। हिंदुस्तानी चाय पी गई और थोड़ी बातचीत के बाद चौपाल संपूर्ण हुई। आज उपस्थित सदस्यों में थे- नागेश भोजने, मीरा ठाकुर, राजन सभरवाल, क्रिस्टोफर जी, संजय ग्रोवर, अली भाई और मैं और कुछ देर के लिये प्रवीण सक्सेना। फोटो खींचने की किसी को याद नहीं रही इसलिेये इस बार फोटो गायब है। मगर बिना चित्र के भी कहीं ब्लॉग पोस्ट होती है सो एक चित्र का मजा लें... हम सब ऐसे नहीं दिखते पर जो ऐसे दिखते हैं वे भी अच्छे लगते हैं। :)

रविवार, 9 अक्टूबर 2011

७ अक्तूबर, नए नाटक का श्रीगणेश

दो महीनों की लंबी छुट्टी के बाद आज चौपाल लगी। विशेष अवसर था थियेटरवाला द्वारा उठाए गए नए नाटक के पात्रों के चयन का। नाटक है हरिशंकर परसाईं की मूल कथा 'रानी नागफनी की कहानी' से प्रेरित प्रेमचंद गांधी द्वारा लिखित 'एक अनूठी प्रेम कहानी'। अभी सारे पात्रों का चयन हुआ नहीं है। लेकिन आशा है कि इस सप्ताह अभ्यास पाठ प्रारंभ हो जाएगा।

आज उपस्थित लोगों में थे- राजन सभरवाल, डॉ शैलेष उपाध्याय, अली भाई, मीरा ठाकुर, नागेश भोजने, राहुल तनेजा और मेनका। मैं और प्रवीण तो थे ही। अस्वस्थ होने के कारण प्रकाश इस शुक्रवार नहीं आ सके, उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए आशा करते हैं कि वे जल्दी ही इस परियोजना से आ जुड़ें।

मौसम अच्छा होने लगा है और अब बाहर खुले में खड़ा होना कष्टदायक नहीं रहा। तभी तो हम सब बाहर खड़े होकर फोटो खिंचवा रहे हैं। अगर पूर्वाभ्यास शुरू हो गया तो उसके चित्र भी प्रकाशित करने की कोशिश करूँगी।

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

१५ जुलाई, २०११ अगली प्रस्तुति पूर्वपीठिका

चौपाल में इस सप्ताह चार लोग जुटे- मेरे सिवा, प्रकाश सोनी, डॉ. शैलेष उपाध्याय और राजन सभरवाल। हमने अगली प्रस्तुति के लिये कहानियों के चयन के विषय में लंबी बातचीत की। तीन रचनाओं (एक व्यंग्य और दो कहानियों) के मंचन के विषय में सभी की स्वीकृति है लेकिन रचनाओं के विषय में अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। बहुत से लोगों का छु्ट्टी पर होना इसका मुख्य कारण है। हालाँकि प्रस्तुति का दिन १६ सितंबर निश्चित हो गया है। आशा है यह प्रस्तुति रोचक रहेगी।

रविवार, 10 जुलाई 2011

८ जुलाई, मौलियर का बिच्छू

छुट्टियों के बावजूद इस बार चौपाल में रौनक रही। सबसे पहले डॉ. उपाध्याय आए, फिर राजन सभरवाल, मैं और प्रवीण थे ही, थोड़ी देर में प्रकाश सोनी भी आ गए।

कार्यक्रम के अनुसार मौलियर का नाटक बिच्छू पढ़ा गया। इसका मंचन किया जाना है या नहीं यह तय नहीं हुआ है लेकिन कुछ कहानियों के मंचन की बात सबके मन में है। शायद अगली चौपाल में यह बात पूरी तरह निश्चित हो जाय कि सितंबर के पहले सप्ताह में कहानियों को लेकर हम क्या और कहाँ करने वाले हैं।

हमेशा की तरह अदरक वाली भारतीय चाय के साथ चौपाल का समापन हुआ। बेशक इस बार चाय के साथ चीकू भी थे, बगीचे में लगा चीकू के पेड़ का मधुरतम उपहार !

शनिवार, 2 जुलाई 2011

१ जुलाई, छुट्टी का दिन

जून के अंतिम सप्ताह तक इमारात के सारे शिक्षा संस्थानों में छुट्टी का मौसम शुरू हो जाता है। छुट्टियाँ लंबी होती हैं दो महीने की। यह छुट्टी अलग अलग संस्थाओं में अलग अलग दिनों पर सितंबर के पहले सप्ताह समाप्त होगी। अधिकतर संस्थाएँ 3 सितंबर को खुलेंगी। स्वाभाविक ही है कि अधिकतर परिवार छुट्टियाँ मनाने अपने अपने देश चले गए हैं। हर ओर छुट्टी का आलम है ऐसे वातावरण में चौपाल की भी इस सप्ताह छुट्टी ही रही।