आज की चौपाल लंबी बातचीत के साथ समाप्त हुई। बातचीत का विषय ऐसी संभावना की खोज था जहाँ नाटकों का मंचन एक से अधिक समूहों द्वारा मिलकर किया जाए और मंचन के खर्चो का बटवारा हो सके। तीन नाटक समूहों के अध्यक्ष इस चौपाल में उपस्थित थे। थियेटरवाला के प्रकाश, प्रतिबिम्ब के महबूब हसन रिजवी और रिहर्सल एंड ड्रामा के दिलीप परांजपे। नाटकों के इस प्रकार मंचन करने में किस थियेटर का उपयोग किया जाएगा,कौन कौन से नाटक समूह इसमें शामिल होना पसंद करेंगे और नाटक की लंबाई तथा विषय क्या रहेंगे इस विषय पर भी चर्चा हुई।
सभी समूह इस बात पर एक मत थे कि इस तरह से प्रयोग सफल हो सकते हैं। मिलकर नाटक किए जाएं तो डेढ़-डेढ़ घंटे के दो नाटक ठीक रहेंगे। कुछ का मत था कि 40-45 मिनट के तीन एकांकी या कहानियाँ करना भी ठीक रहेगा जबकि कुछ ने तीन एकांकियों या कहानियों के प्रति सहमति नहीं दिखाई उनका कहना था कि स्टेज सजाने में समय लगता है और दो अंतराल कार्यक्रम के लिए ठीक नहीं रहेंगे। कुछ का कहना था कि संयुक्त कार्यक्रम में से एक हल्का फुल्का और दूसरा गंभीर नाटक होना चाहिए जबकि कुछ का विचार था कि दोनो नाटक एक ही मूड के हों तो अधिक अच्छा होगा। क्या अगला नाटक नवंबर में खेला जा सकता है? क्या दिसंबर और जनवरी में मंच प्रस्तुति के लिए हमारे पास कुछ है इस संभावना की भी खोज हुई।
दुबई मेल इस बार भी नहीं आई। शायद अगली भेंट हो। बिमान दा वापस इमारात लौट आए हैं इस बात की भी सूचना मिली। वे इस बार शारजाह में नहीं दुबई में रह रहे हैं। प्रकाश भी अपनी नई नौकरी बदलने के बाद दुबई स्थानांतरित हो गए हैं। कुल मिलाकर यह कि चौपाल के अधिकतर सदस्य अब दुबई में हैं और शारजाह में अब कम लोग ही रह गए हैं। आज उपस्थित लोगों में थे चित्र में बाएँ से प्रकाश, सबीहा, मेनका, आमिर रिजवी साहब, दिलीप परांजपे, मीर, मूफ़ी और इरफ़ान। बहुत दिनों बाद मिले तो सब बदले बदले लग रहे थे। सबीहा काफी दुबली लगीं, दिलीप साहब ने नया विग बनवाया है जबकि मीर और इरफान ने अपने सिर के बाल मुंडवा रखे थे।
३० अक्तूबर, सहयोग का विस्तार
जवाब देंहटाएंनाटक , एकांकी, कहानियों के मंचन पर विस्तृत चर्चा पढ़ कर मन भाव विभोर हो गया की आप लोग हमसे दूर रह कर भी कितना कुछ का रहे हैं और शायद ये डोर आपलोगों के मेल मिलाप का बेहतरीन जरिए भी होगा .
हमारे जबलपुर में नाट्य समारोह साल भर बड़ी धूमधाम से चलते रहते हैं
साल में राष्ट्रीय स्तर के मंचन के साथ ही राष्ट्रीय नाट्य समारोह भी आयोजित होते हैं . इन कार्यक्रमों में लोगों की उपस्थिति भी संतोषजनक होती है. जबलपुर की विवेचना , समागम एवं अन्य संस्थायें आपको सहयोग और सुझाव भी दे सकती हैं .
- विजय
पूर्णिमा जी ,
जवाब देंहटाएं'चौपाल' पढ़कर लगा, हमने सोचा वो आपने कर दिखाया . चौपाल में आप को नये नये विचार मिलते हैं .