आज की चौपाल में गणतंत्र दिवस मनाना निश्चित हुआ था। साहित्य सत्र में सबसे पहले पहुँचे दिगंबर नस्वा और उनकी पत्नी अनीता, फिर नागेश भोजने मीरा ठाकुर, प्रकाश सोनी, शुभजीत और सुप्रीत भी आ गए। कार्यक्रम का शुभारंभ मीरा ठाकुर की कविताओं से हुआ फिर नागेश भोजने ने कुछ कविताएँ पढ़ीं और उसके बाद दिगंबर जी ने। दिगंबर नस्वा जी की रचनाओं में देशभक्ति के गीतों के साथ हास्य व्यंग्य की छंदमुक्त रचनाओं और जीवन से संबंधित गजल के रंग भी देखने को मिले। मेरे कविता पाठ के बाद प्रकाश ने शरद जोशी का एक व्यंग्य पढ़ा। चाय के बाद दूसरे सत्र में प्रकाश शुभजीत और सुमित ने परमानंद गजवी के नाटक गाँधी-अंबेडकर का नाट्य पाठ किया।
शुक्रवार, 28 जनवरी 2011
२८ जनवरी, गणतंत्र दिवस का दिन
आज की चौपाल में गणतंत्र दिवस मनाना निश्चित हुआ था। साहित्य सत्र में सबसे पहले पहुँचे दिगंबर नस्वा और उनकी पत्नी अनीता, फिर नागेश भोजने मीरा ठाकुर, प्रकाश सोनी, शुभजीत और सुप्रीत भी आ गए। कार्यक्रम का शुभारंभ मीरा ठाकुर की कविताओं से हुआ फिर नागेश भोजने ने कुछ कविताएँ पढ़ीं और उसके बाद दिगंबर जी ने। दिगंबर नस्वा जी की रचनाओं में देशभक्ति के गीतों के साथ हास्य व्यंग्य की छंदमुक्त रचनाओं और जीवन से संबंधित गजल के रंग भी देखने को मिले। मेरे कविता पाठ के बाद प्रकाश ने शरद जोशी का एक व्यंग्य पढ़ा। चाय के बाद दूसरे सत्र में प्रकाश शुभजीत और सुमित ने परमानंद गजवी के नाटक गाँधी-अंबेडकर का नाट्य पाठ किया।
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