रविवार, 19 जून 2011

१७ जून, कुछ पुराना कुछ नया


साहित्य सत्र की गोष्ठी सुबह १० बजे प्रारंभ हुई। सबसे पहले मीरा ठाकुर और नागेश भोजने पधारे। मीरा ठाकुर और नागेश ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया साथ ही हाल ही में उनके द्वारा अभिनीत शरद जोशी के एक व्यंग्य के निरंतर पूर्वाभ्यास की बात भी हुई।

लगभग ११ बजे राजन सभरवाल गोष्ठी में शामिल हुए। बातचीत का प्रमुख विषय अभिनय के संबंध में उनके शोध- द मैजिकल मोमेंट्स की चर्चा, थियेटरवाला द्वारा मंचित नाटकों के विषय में जानकारी और भविष्य की परियोजनाएँ रहीं। राजन सभरवाल ने कविताओं और कहानियों के मंचन विशेष रूप से देवेन्द्र राज अंकुर के प्रयोगों के विषय में जानकारी दी। निर्देशक को अभिनेता पर कितना नियंत्रण रखना चाहिये और कितनी स्वतंत्रता देनी चाहिये इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई।

चाय पान के साथ लगभग साढे बारह बजे गोष्ठी का समापन हुआ। दाहिनी ओर के चित्र में बाएँ से- मीरा ठाकुर, राजन सभरवाल, नागेश भोजने और मैं। फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिये। अन्य सदस्य एक प्रदर्शन के पूर्वाभ्यास में व्यस्त होने के कारण अनुपस्थित रहे।

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