सोमवार, 28 जून 2010

२५ जून, प्रस्तुति रूहे इश्क की


अंततः प्रदर्शन का दिन आ ही गया। इस कार्यक्रम का विज्ञापन जोरदार हुआ था। टीवी और रेडियो पर दिये जानेवाले विज्ञापन आकर्षक थे। सबसे लोकप्रिय रेस्टोरेंट शृखला कामथ और गज़ीबो पर इनके टिकट बिके थे जिसका प्रभाव दर्शकों की भीड़ के ऊपर देखा जा सकता था। मल्हार के संगीत की प्रस्तुति से दर्शक आस्वस्त दिखे और थियेटरवाला के अभिनय ने उनका अच्छा साथ निभाया। कुल मिलाकर प्रस्तुति सफल रही। शायद इमारात में संगीत के साथ नाट्य अभिनय के संयोजन की यह पहली प्रस्तुति थी और प्रसन्नता की बात है कि दर्शकों ने इसे खूब पसंद किया। प्रदर्शन के दिन चौपाल का लगना तो संभव नहीं होता। अतः चौपाल आज स्थगित रही।

शनिवार, 19 जून 2010

१८ जून, रूहे इश्क़ संपूर्णता की ओर...


जैसे जैसे 'रूहे इश्क' के प्रदर्शन के दिन समीप आ रहे हैं, पूर्वाभ्यास में भी गंभीरता आने लगी है। बृहस्पतिवार को देर रात तक पूर्वाभ्यास के कारण इस बार चौपाल स्थगित रही। शुक्रवार का पूर्वाभ्यास दुबई में हुआ दोपहर दो बजे से। दुबई शॉपिंग उत्सव के लिए आयोजित अनेक कार्यक्रमों में से एक यह कार्यक्रम 25 जून को होना निश्चित हुआ है। कार्यक्रम चार सूफ़ी संतों के गीतों और उनके जीवन की घटनाओं पर आधारित है। गीतों को मंच पर साकार करेंगे मल्हार के संगीतकार और गायक तथा जीवनवृत्त का नाट्य रूपांतर करेंगे थियेटरवाला के कलाकार।

रविवार, 13 जून 2010

११ जून, उत्सव सा दिन



आज का दिन उत्सव जैसा रहा। सदस्यों की उपस्थिति अच्छी थी। जमकर पूर्वाभ्यास हुआ और चाय के साथ बातचीत दमदार रही। आशा है प्रस्तुति भी इसी तरह दमदार रहेगी। मल्हार द्वारा तैयार किये जा रहे रूहे इश्क कार्यक्रम में संगीत तैयार है। रूमी और खुसरों के पूर्वाभ्यास से कलाकार संतुष्ट लगे। आज विशेष ध्यान बुल्लेशाह और कबीर के ऊपर रहा। बहुत दिनों बाद कौशिक और मूफ़ी दिखाई दिए।




बायीं ओर के चित्र में बीच में प्रकाश सोनी अपनी दाहिनी ओर आमिर और बायीं ओर सूत्रधार अली भाई के अभिनय को सराहते हुए- "वाह वाह क्या बात है की मुद्रा में।" ऊपर के चित्र में सामने की ओर बाएँ से प्रकाश और दोनो आमिर, पीछे की ओर बाएँ से मैं, शालिनी, अली भाई, कौशिक, डॉ. उपाध्याय, एक अन्य अभिनेता, सुमित और मूफ़ी। सदा की तरह फोटो प्रवीण जी ने ली।

शनिवार, 5 जून 2010

४ जून, रूहे-इश्क- इंतज़ार और अभी






चौपाल में रूहे इश्क का पूर्वाभ्यास जारी रहा। पहले इसका मंचन ११ जून को होने वाले था लेकिन कुछ कारणों से अब यह २५ जून को खेला जाएगा। जो लोग इसकी प्रतीक्षा कर रहे थे उनके लिए प्रतीक्षा की घड़ियाँ बढ़ गई हैं लेकिन कलाकारों के पास अभ्यास का कुछ और समय हो गया है।

इसके साथ ही बदलती तिथियों में सभी कलाकार उपलब्ध हो सकेंगे या नहीं इसकी आशंका भी सिर उठाने लगी है। सभी महिला कलाकार आज अनुपस्थित रहीं (वे संगीत के पूर्वाभ्यास में अन्यत्र व्यस्त रहीं।) इसके बावजूद चौपाल में पूर्वाभ्यास जारी रहा। चित्रों में देखें अभ्यास की कुछ झलकियाँ।

शनिवार, 29 मई 2010

२८ मई, रूहे इश्क का पूर्वाभ्यास


चौपाल में मल्हार का रूहे इश्क आकार लेने लगा है। लोग देर से आए पर काम बहुत गंभीरता से देर तक जारी रहा। अली भाई सूत्रधार के पूर्वाभ्यास में पूरी तरह खोए रहे। सूत्रधार के आलेख को भी शायद अंतिम आकार मिल गया है। सूफ़ी कवियों के जीवन की इन छोटी झलकियों में कुछ नए कलाकार भी शामिल हैं। कुल मिलाकर वातावरण गंभीर रहा, पूरी तरह से पूर्वाभ्यास के मूड में। कुछ लोग देर से भी आए पर लगता है दिन सफल रहा।

रविवार, 23 मई 2010

२१ मई, पूर्वाभ्यास और रिहर्सल


चौपाल में जहाँ एक ओर मल्हार के रूहे इश्क कार्यक्रम का पूर्वाभ्यास जारी है वहीं दूसरी ओर शुक्रवार चौपाल की तीसरी वर्षगाँठ के उत्सव की तैयारियाँ भी जारी है। इस बार वर्षगाँठ के अवसर पर अनेक एकालाप और नाटिकाओं का प्रस्तुति का कार्यक्रम है। समय सीमा 8से 10 मिनट रखी गई है। सब अपने अपने पूर्वाभ्यास में लगे हैं।

मल्हार का रूहे इश्क रूमी, अमीर खुसरों, कबीर और बुल्लेशाह के गीतों पर आधारित एक संगीत कार्यक्रम है जिसमें कुछ घटनाएँ नाटक के रूप में प्रस्तुत की जानी हैं। शुक्रवार चौपाल की प्रस्तुतियों को अभी तक सबने गुप्त रखा है। शायद इस शुक्रवार विस्तार से पता चले।

इन सब कार्यक्रमों के चलते बहुत दिनों बाद चौपाल में कुछ ज्यादा लोग दिखाई पड़े। डॉ. शैलेष उपाध्या, सबीहा, प्रकाश, दिलीप परांजपे और शालिनी के साथ इस बार आमिर, सुप्रीत, और सलाम हाज़िर थे। बहुत दिनों बाद अली भाई के भी दर्शन हुए। चित्र में बाएँ से- सलाम, सबीहा, शालिनी, सुमीत, दिलीप परांजपे, आमिर, डॉ. उपाध्याय, अली भाई और प्रकाश।