शनिवार, 29 मई 2010

२८ मई, रूहे इश्क का पूर्वाभ्यास


चौपाल में मल्हार का रूहे इश्क आकार लेने लगा है। लोग देर से आए पर काम बहुत गंभीरता से देर तक जारी रहा। अली भाई सूत्रधार के पूर्वाभ्यास में पूरी तरह खोए रहे। सूत्रधार के आलेख को भी शायद अंतिम आकार मिल गया है। सूफ़ी कवियों के जीवन की इन छोटी झलकियों में कुछ नए कलाकार भी शामिल हैं। कुल मिलाकर वातावरण गंभीर रहा, पूरी तरह से पूर्वाभ्यास के मूड में। कुछ लोग देर से भी आए पर लगता है दिन सफल रहा।

रविवार, 23 मई 2010

२१ मई, पूर्वाभ्यास और रिहर्सल


चौपाल में जहाँ एक ओर मल्हार के रूहे इश्क कार्यक्रम का पूर्वाभ्यास जारी है वहीं दूसरी ओर शुक्रवार चौपाल की तीसरी वर्षगाँठ के उत्सव की तैयारियाँ भी जारी है। इस बार वर्षगाँठ के अवसर पर अनेक एकालाप और नाटिकाओं का प्रस्तुति का कार्यक्रम है। समय सीमा 8से 10 मिनट रखी गई है। सब अपने अपने पूर्वाभ्यास में लगे हैं।

मल्हार का रूहे इश्क रूमी, अमीर खुसरों, कबीर और बुल्लेशाह के गीतों पर आधारित एक संगीत कार्यक्रम है जिसमें कुछ घटनाएँ नाटक के रूप में प्रस्तुत की जानी हैं। शुक्रवार चौपाल की प्रस्तुतियों को अभी तक सबने गुप्त रखा है। शायद इस शुक्रवार विस्तार से पता चले।

इन सब कार्यक्रमों के चलते बहुत दिनों बाद चौपाल में कुछ ज्यादा लोग दिखाई पड़े। डॉ. शैलेष उपाध्या, सबीहा, प्रकाश, दिलीप परांजपे और शालिनी के साथ इस बार आमिर, सुप्रीत, और सलाम हाज़िर थे। बहुत दिनों बाद अली भाई के भी दर्शन हुए। चित्र में बाएँ से- सलाम, सबीहा, शालिनी, सुमीत, दिलीप परांजपे, आमिर, डॉ. उपाध्याय, अली भाई और प्रकाश।

शनिवार, 15 मई 2010

१४ मई, वार्षिकोत्सव की योजनाएँ


इस बार चौपाल में थियेटरवाला के वार्षिक उत्सव की तैयारी के विषय में बातचीत हुई। तय यह हुआ है कि अनेक छोटी-छोटी प्रस्तुतियों का एक समूह नाट्य संध्या के नाम से प्रस्तुत किया जाए। लोग अलग अलग नाट्य कर्मियों के नाटकों के साथ जुड़े हैं और चौपाल में उपस्थिति कम सी रही है। इस बार प्रकाश, डॉ उपाध्याय और शालिनी उपस्थित रहे। शालिनी ने महाभारत से द्रौपदी का एक लंबा अंश पढ़ा। शायद वे वार्षिकोत्सव के अवसर पर इसे मंचित करेंगी। बाकी लोग क्या करेंगे यह अंतिम आश्चर्य के लिए सुरक्षित रखा गया है। शायद कुछ न कुछ पूर्वाभ्यास के दौरान स्पष्ट हो जाएगा।

शुक्रवार, 7 मई 2010

७ मई, सखाराम बाइंडर




इस बार चौपाल में विजय तेंडुलकर के नाटक सखाराम बाइंडर के पाठ का कार्यक्रम था। निरूपमा वर्मा द्वारा किया गया इसका हिंदी रूपांतर पढ़ा जाना था। डॉ. उपाध्याय और दिलीप परांजपे साहब समय से पहुँचे। शालिनी और प्रकाश को आने में थोड़ी देर हुई। उनके पहुँचते ही डॉ उपाध्याय ने नाटक की कथावस्तु संक्षेप में बताई। नाटक के प्रारंभिक भाग का पाठ हुआ। सबको ही किसी न किसी जगह जाना था इसलिए आज की चौपाल समय से थोड़ा पहले ही समाप्त हो गई।