शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

२८ जनवरी, गणतंत्र दिवस का दिन



आज की चौपाल में गणतंत्र दिवस मनाना निश्चित हुआ था। साहित्य सत्र में सबसे पहले पहुँचे दिगंबर नस्वा और उनकी पत्नी अनीता, फिर नागेश भोजने मीरा ठाकुर, प्रकाश सोनी, शुभजीत और सुप्रीत भी आ गए। कार्यक्रम का शुभारंभ मीरा ठाकुर की कविताओं से हुआ फिर नागेश भोजने ने कुछ कविताएँ पढ़ीं और उसके बाद दिगंबर जी ने। दिगंबर नस्वा जी की रचनाओं में देशभक्ति के गीतों के साथ हास्य व्यंग्य की छंदमुक्त रचनाओं और जीवन से संबंधित गजल के रंग भी देखने को मिले। मेरे कविता पाठ के बाद प्रकाश ने शरद जोशी का एक व्यंग्य पढ़ा। चाय के बाद दूसरे सत्र में प्रकाश शुभजीत और सुमित ने परमानंद गजवी के नाटक गाँधी-अंबेडकर का नाट्य पाठ किया।

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कुछ और कार्यक्रम


इस शुक्रवार चौपाल में विगत सप्ताह के कार्यक्रमों का लेख जोखा ही प्रमुख विषय रहे। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस की धूम जो ७ जनवरी को प्रारंभ हुई थी, १६ जनवरी तक जारी रही। १६ जनवरी को शारजाह के डीपीएस स्कूल में हिंदी कविता से संबंधित परंपरा नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी तैयारी पिछले लगभग एक महीने से जारी थी। कार्यक्रम में संयुक्त अरब इमारात के भारतीय विद्यालयों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध रचनाकार मुनव्वर राणा भारत से शारजाह पधारे थे। इस अवसर पर इमारात में हिंदी के क्षेत्र में जानेमाने नाम- कृष्ण बिहारी, दिगंबर नस्वा, प्रदीप लालजानी, कुलभूषण व्यास, रिक्तेश श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन तथा प्रस्तुति आकर्षक रही, विद्यार्थियों का प्रदर्शन संतोषजनक था, सांस्कृतिक कार्यक्रम सुरुचिपूर्ण रहा और विजेता विद्यार्थियों/विद्यालयों को पुरस्कार वितरित किये गए।

रविवार, 16 जनवरी 2011

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस वाला सप्ताह


इस पूरे सप्ताह आबूधाबी और दुबई में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस के कार्यक्रमों में चौपाल के सदस्य व्यस्त रहे। १४ जनवरी की शाम आबूधाबी के भारतीय दूतावास में थियेटरवाला द्वारा तैयार किये गए, दो नाटकों- 'दस्तक' और 'खिलजी का दाँत' का प्रदर्शन हुआ। असलम परवेज द्वारा लिखित नाटक 'दस्तक' का निर्देशन प्रकाश सोनी ने किया था और के.पी.सक्सेना द्वारा लिखित 'खिलजी का दाँत' का सबीहा मँझगाँवकर ने। दस्तक को थियेटरवाला द्वारा पहले भी मंचित किया जा चुका है, लेकिन खिलजी का दाँत की यह प्रथम प्रस्तुति थी। दोनो नाटकों की प्रस्तुत आकर्षक रही। सुनील जसूजा और ऊष्मा शाह द्वारा तैयार किया गया सेट रोचक और सुंदर बन पड़ा था। एक शाम थियेटर के नाम शीर्षक से प्रस्तुत इस कार्यक्रम में दूतावास का थियेटर पूरा भरा रहा और दोनो नाटकों के विषय में दर्शकों की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही। मध्यांतर में परोसे गए चाय और समोसों ने वातावरण में भारतीयता की महक भर दी। अधिक फोटो अभी उपलब्ध नहीं हुए हैं, इसलिये झलक के रूप में खिलजी का दाँत नाटक की एक फोटो ही प्रस्तुत है। इस कार्यक्रम के कारण सुबह लगने वाली चौपाल स्थगित रही।

इसके पहले ७ जनवरी की शाम दुबई के कोरल देयरा होटल में महाराष्ट्र मंडल द्वारा मराठी के लोकप्रिय कवि और अभिनेता गुरू ठाकुर की हिंदी कविताओं की सीडी का लोकार्पण हुआ। सीडी में गुरू ठाकुर की आवाज भावों को अभिव्यक्त करने में सफल रही है। बीच बीच में योगिता चितले के आलाप अत्यंत कर्णप्रिय हैं। इस अवसर पर अलका तट्टू द्वारा गुरू ठाकुर का एक लंबा साक्षात्कार भी लिया गया जिसका दर्शकों ने भरपूर आनंद उठाया। साक्षात्कार के बीच बीच में गुरू ठाकुर के प्रसिद्ध गानों के वीडियो देखना रोचक रहा। कार्यक्रम में गायिका योगिता चितले भी उपस्थित रहीं। दाहिनी ओर के चित्र में कार्यक्रम के बाद का एक समूह चित्र।

ये दोनो कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किये गए।

शनिवार, 8 जनवरी 2011

७ जनवरी, पूर्वाभ्यास का दिन


इस बार शुक्रवार चौपाल के साहित्य सत्र में मोहन राकेश की कहानी पढ़ी गई - मिस पाल। इस सत्र में मेरे साथ पूर्णिमा वर्मन और स्वरूपा राय उपस्थित रहे। इसके साथ ही स्वरचित रचनाओं का पाठ हुआ और आनेवाले कार्यक्रमों के विषय में बातचीत हुई।

नाटक सत्र में दस्तक और खिलजी के दाँत का पूर्वाभ्यास जारी रहा। इस अवसर पर नाटक के सभी पात्र उपस्थित रहे।

प्रस्तुति- मीरा ठाकुर

शनिवार, 1 जनवरी 2011

३१ जनवरी २०१०, अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस की तैयारियाँ


अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस के लिये १० जनवरी का दिन निश्चित किया गया है लेकिन सुविधानुसार यह सप्ताहांत की छुट्टी या उसके आसपास खिसकता रहता है। इस बार दिल्ली पब्लिक स्कूल की ओर से १६ जनवरी को शारजाह में, और १४ जनवरी को आबूधाबी में जो कार्यक्रम होने वाले हैं उनकी तैयारी का वातावरण रहा।


साहित्य सत्र में हरिकृष्ण सचदेव, स्वरूपा राय और अफरा के साथ जयशंकर प्रसाद की कामायनी के चिंता सर्ग का पाठ हुआ और इसके अर्थ पर विस्तार से चर्चा हुई। नाटक सत्र में दस्तक और खिलजी का दाँत पूर्वाभ्यास की सीढ़ी पर आगे बढ़े। इस सत्र में उपस्थित थे- प्रकाश सोनी, कौशिक साहा, सबीहा मँझगाँवकर, लक्ष्मण, सलाम, संग्राम और सुमित।