शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

१५ जुलाई, २०११ अगली प्रस्तुति पूर्वपीठिका

चौपाल में इस सप्ताह चार लोग जुटे- मेरे सिवा, प्रकाश सोनी, डॉ. शैलेष उपाध्याय और राजन सभरवाल। हमने अगली प्रस्तुति के लिये कहानियों के चयन के विषय में लंबी बातचीत की। तीन रचनाओं (एक व्यंग्य और दो कहानियों) के मंचन के विषय में सभी की स्वीकृति है लेकिन रचनाओं के विषय में अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। बहुत से लोगों का छु्ट्टी पर होना इसका मुख्य कारण है। हालाँकि प्रस्तुति का दिन १६ सितंबर निश्चित हो गया है। आशा है यह प्रस्तुति रोचक रहेगी।

रविवार, 10 जुलाई 2011

८ जुलाई, मौलियर का बिच्छू

छुट्टियों के बावजूद इस बार चौपाल में रौनक रही। सबसे पहले डॉ. उपाध्याय आए, फिर राजन सभरवाल, मैं और प्रवीण थे ही, थोड़ी देर में प्रकाश सोनी भी आ गए।

कार्यक्रम के अनुसार मौलियर का नाटक बिच्छू पढ़ा गया। इसका मंचन किया जाना है या नहीं यह तय नहीं हुआ है लेकिन कुछ कहानियों के मंचन की बात सबके मन में है। शायद अगली चौपाल में यह बात पूरी तरह निश्चित हो जाय कि सितंबर के पहले सप्ताह में कहानियों को लेकर हम क्या और कहाँ करने वाले हैं।

हमेशा की तरह अदरक वाली भारतीय चाय के साथ चौपाल का समापन हुआ। बेशक इस बार चाय के साथ चीकू भी थे, बगीचे में लगा चीकू के पेड़ का मधुरतम उपहार !

शनिवार, 2 जुलाई 2011

१ जुलाई, छुट्टी का दिन

जून के अंतिम सप्ताह तक इमारात के सारे शिक्षा संस्थानों में छुट्टी का मौसम शुरू हो जाता है। छुट्टियाँ लंबी होती हैं दो महीने की। यह छुट्टी अलग अलग संस्थाओं में अलग अलग दिनों पर सितंबर के पहले सप्ताह समाप्त होगी। अधिकतर संस्थाएँ 3 सितंबर को खुलेंगी। स्वाभाविक ही है कि अधिकतर परिवार छुट्टियाँ मनाने अपने अपने देश चले गए हैं। हर ओर छुट्टी का आलम है ऐसे वातावरण में चौपाल की भी इस सप्ताह छुट्टी ही रही।