शनिवार, 25 जून 2011

२४ जून, नाटककार मिलिंद तिखे को भावभीनी श्रद्धांजलि

पिछले सप्ताह इमारात में बसे साहित्यकार और नाट्यकर्मी मिलिंद तिखे हमारे बीच नहीं रहे। वे पिछले कुछ दिनों से से अस्वस्थ थे। विगत २० जूम को उनका देहावसान हो गया।

१९५६ में जन्मे मिलिन्द जी ने अल्पावधि में ही जिस साहित्य की रचना की, उसमें इमारात की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की रोचक झलक देखी जा सकती है। इस सप्ताह की चौपाल दिवंगत मित्र को श्रद्धांजलित अर्पित करने के लिये जुटी। इस अवसर पर स्थायी सदस्यों के अतिरिक्त मिलिंद जी के अनेक आत्मीय, मित्र, सहयोगी एवं नाट्यकर्मी उपस्थित रहे। सभा के आरंभ में दो मिनट का मौन रखा गया, उनसे संबंधित भावभीने संस्मरण सुनाए गए और उनकी रचनाओं के संग्रह को प्रकाशित करने का संकल्प लिया गया। अंत में सबने उनके चित्र के साथ एक समूह फोटो खिंचवाया।

रविवार, 19 जून 2011

१७ जून, कुछ पुराना कुछ नया


साहित्य सत्र की गोष्ठी सुबह १० बजे प्रारंभ हुई। सबसे पहले मीरा ठाकुर और नागेश भोजने पधारे। मीरा ठाकुर और नागेश ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया साथ ही हाल ही में उनके द्वारा अभिनीत शरद जोशी के एक व्यंग्य के निरंतर पूर्वाभ्यास की बात भी हुई।

लगभग ११ बजे राजन सभरवाल गोष्ठी में शामिल हुए। बातचीत का प्रमुख विषय अभिनय के संबंध में उनके शोध- द मैजिकल मोमेंट्स की चर्चा, थियेटरवाला द्वारा मंचित नाटकों के विषय में जानकारी और भविष्य की परियोजनाएँ रहीं। राजन सभरवाल ने कविताओं और कहानियों के मंचन विशेष रूप से देवेन्द्र राज अंकुर के प्रयोगों के विषय में जानकारी दी। निर्देशक को अभिनेता पर कितना नियंत्रण रखना चाहिये और कितनी स्वतंत्रता देनी चाहिये इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई।

चाय पान के साथ लगभग साढे बारह बजे गोष्ठी का समापन हुआ। दाहिनी ओर के चित्र में बाएँ से- मीरा ठाकुर, राजन सभरवाल, नागेश भोजने और मैं। फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिये। अन्य सदस्य एक प्रदर्शन के पूर्वाभ्यास में व्यस्त होने के कारण अनुपस्थित रहे।

रविवार, 12 जून 2011

१० जून, फिल्मी गाने और कामदी


चौपाल में इस सप्ताह संगीत और नाटक पर आधारित एक कार्यक्रम का नाट्य आलेख पढ़ा गया। यह कार्यक्रम सृष्टि संगीत संस्था द्वारा किया जा रहा है। प्रस्तुति के नाट्य अंश प्रस्तुत कर रहे हैं-थियेटरवाला। हास्य व्यंग्य से भरपूर, रूमानी फिल्मी गानों वाली यह एक रोचक प्रस्तुति है। इस सप्ताह चौपाल में राजन सब्बरवाल की उपस्थिति विशेष महत्त्व वाली रही। अन्य सदस्यों में से डॉ. शैलेष उपाध्याय, सबीहा मझगाँवकर, सुमित गुप्ता, शुभजित, प्रकाश सोनी, सादिया नूरी और प्रवीण सक्सेना उपस्थित रहे। अफसोस कि उस दिन जो तस्वीरें ली गई थीं वे कैमरा खाली करते हुए गलती से मिट गईं। इसलिये इस बार केवल थियेटरवाला के लोगो से काम चलाना पड़ेगा। आशा है अगली बार से गलतियाँ नहीं होंगी।

शनिवार, 4 जून 2011

३ जून, छुट्टी का मौसम

पिछले सप्ताह वार्षिक समारोह के बाद इस चौपाल में छुट्टी का सा वातावरण रहा। उपस्थित सदस्य थे प्रकाश सोनी, डॉ. शैलेष उपाध्याय, सुमित, मीरा ठाकुर और मैं। प्रकाश और डॉ उपाध्याय दुबई के एक संगीत समूह के साथ मिलकर संगीत नाट्य संध्या में अभिनय करने वाले हैं। उसके विषय में कुछ बात हुई और एक कहानी भी पढ़ी गई। प्रवीण जी के अनुपस्थित होने से चित्र नहीं खिंच पाया। आशा है अगली चौपाल में कुछ ज्यादा रौनक रहेगी।

आज समय मिला सब फोटो ठीक से लगाने का सो फोटो में वार्षिकोत्सव विस्तार से