शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

४ नवंबर, श्रीलाल शुक्ल को श्रद्धांजलि


यह शुक्रवार दिवंगत लेखक श्रीकांत शुक्ल को श्रद्धांजलि देने का दिन था। डॉ उपाध्याय ने श्रीलाल शुक्ल का परिचय पढ़ा तथा प्रकाश यश विभा और मैंने उनकी कुछ व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। इसके बाद एक घोड़ा तीन सवार नाटक का पहला अंक पढ़ा गया। आज उपस्थित सदस्यों में थे- प्रकाश सोनी, डॉ. उपाध्याय, यश, विभा, मेनका, सादिया, राजन सब्बरवाल, सबीहा और मैं।

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

२८ अक्तूबर, रानी नागफनी की कहानी के साथ एक कदम और...

चौपाल में नए नाटक को लेकर उत्साह है। लोग धीरे धीरे आए लेकिन एक घंटे में काफ़ी लोग जमा हुए। तीन दृश्यों का पाठ हुआ और बहुत सी बातें। आशा रखें कि ये बातें कार्यरूप में आकार लें।

आज उपस्थित सदस्यों में थे- प्रकाश सोनी, सबीहा मझगाँवकर, डॉ. शैलेष उपाध्याय, राजन सभरवाल, मेनका, मीरा ठाकुर, सादिया नूरी, सलाम, लक्ष्मण, नीलेश, संजय ग्रोवर, मोहम्मद अली और सुमित।

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

२१ अक्तूबर, एक बहस और

इस शुक्रवार को चौपाल में बहुत महीनों बाद बहुत से लोग जुटे। बहुत से लोगों को देखना अच्छा लगता है। लेकिन अच्छा लगने से आगे बढ़कर कुछ कर गुजरने के लिये जिस लगन और इच्छाशक्ति की जरूरत होती है वह पिछले कई महीनों से देखने में नहीं आरही है। शायद बहुत से काम के बाद एक लंबे विश्राम का समय है।  आशा करें कि सब इस विश्राम के विवर से बाहर निकलें और कर्मठता के शिखर पर चढ़ें।



नाटकों के पूर्वाभ्यास और उनके मंचन के बीच सैकड़ों समस्याएँ और उनके बहुत से हल। बहुत सी शिकायते बहुत से सवाल, बहुत से वादे बहुत से जवाब।  ऐसा नहीं कि इससे पहले ये बातें हुई नहीं फिर भी बार बार बातों की गुंजाइश बनी रहती है। कुछ आगे की योजनाएँ बन गईं। बातें सफल हुईं या असफल यह समय बताएगा और योजनाएँ आकार लेती हैं या नहीं यह भी।

कुल मिलाकर रोचक बात यह रही कि अली भाई और प्रकास सोनी ने एक अनूठी प्रेम कहानी के पहले अंक का पहला दृश्य पढ़ा जो सुनने में बहुत रोचक लगा। आज उपस्थित लोगों में थे- प्रकाश सोनी, अली भाई, डॉ. उपाध्याय, सबीहा, मेनका, सादिया, रायन, संजय ग्रोवर, सुमित, राजन सभरवाल, कल्याण, सलाम, मैं और प्रवीण।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

१४ अक्तूबर, एक कदम आगे?

आशा थी कि पूर्वाभ्यास इस सप्ताह एक कदम आगे बढ़ेगा। पर ऐसा हुआ नहीं। समूह के बहुत से सदस्य व्यस्त रहे। राहुल अपनी टेनिस की टीम के साथ भारत में हैं, प्रकाश मल्हार के साथ ओ गंगा में व्यस्त हैं, डा. साहब की एक आवश्यक मीटिंग आ पड़ी और कुछ न कुछ के कारण कुछ और लोग नहीं आए।

सुबह का पहला साहित्य सत्र बहुत दिनों बाद अच्छा रहा। नागेश भोजने और मीरा ठाकुर की कुछ नई कविताओं का पाठ हुआ। कुछ स्वरचित कविताएँ राजन सभवाल ने भी सुनाईं। निदा साहब की कुछ ग़ज़लें, एक लेख और कुछ छंदमुक्त कविताएँ पढ़ी गईं। ग़जलें और नज्में अली भाई और राजन सभरवाल ने मिलकर पढ़ीं। लेख मीरा ठाकुर और नागेश भोजने ने पढ़ा।

कुछ पुराने साथियों से मिलने का सौभाग्य मिला। संजय ग्रोवर और क्रिस्टोफ़र साहब से बहुत दिनों बाद मिलना हुआ। उन्होंने नाटक का एक दृश्य पढ़ा। नागेश भोजने ने कुछ पाठ अभ्यास किया और सिद्धार्थ ठाकुर ने राजन जी के साथ एक साक्षात्कार के लिये फोटो खिंचवाए। हिंदुस्तानी चाय पी गई और थोड़ी बातचीत के बाद चौपाल संपूर्ण हुई। आज उपस्थित सदस्यों में थे- नागेश भोजने, मीरा ठाकुर, राजन सभरवाल, क्रिस्टोफर जी, संजय ग्रोवर, अली भाई और मैं और कुछ देर के लिये प्रवीण सक्सेना। फोटो खींचने की किसी को याद नहीं रही इसलिेये इस बार फोटो गायब है। मगर बिना चित्र के भी कहीं ब्लॉग पोस्ट होती है सो एक चित्र का मजा लें... हम सब ऐसे नहीं दिखते पर जो ऐसे दिखते हैं वे भी अच्छे लगते हैं। :)

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

७ अक्तूबर, नए नाटक का श्रीगणेश

दो महीनों की लंबी छुट्टी के बाद आज चौपाल लगी। विशेष अवसर था थियेटरवाला द्वारा उठाए गए नए नाटक के पात्रों के चयन का। नाटक है हरिशंकर परसाईं की मूल कथा 'रानी नागफनी की कहानी' से प्रेरित प्रेमचंद गांधी द्वारा लिखित 'एक अनूठी प्रेम कहानी'। अभी सारे पात्रों का चयन हुआ नहीं है। लेकिन आशा है कि इस सप्ताह अभ्यास पाठ प्रारंभ हो जाएगा।

आज उपस्थित लोगों में थे- राजन सभरवाल, डॉ शैलेष उपाध्याय, अली भाई, मीरा ठाकुर, नागेश भोजने, राहुल तनेजा और मेनका। मैं और प्रवीण तो थे ही। अस्वस्थ होने के कारण प्रकाश इस शुक्रवार नहीं आ सके, उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए आशा करते हैं कि वे जल्दी ही इस परियोजना से आ जुड़ें।

मौसम अच्छा होने लगा है और अब बाहर खुले में खड़ा होना कष्टदायक नहीं रहा। तभी तो हम सब बाहर खड़े होकर फोटो खिंचवा रहे हैं। अगर पूर्वाभ्यास शुरू हो गया तो उसके चित्र भी प्रकाशित करने की कोशिश करूँगी।

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

१५ जुलाई, २०११ अगली प्रस्तुति पूर्वपीठिका

चौपाल में इस सप्ताह चार लोग जुटे- मेरे सिवा, प्रकाश सोनी, डॉ. शैलेष उपाध्याय और राजन सभरवाल। हमने अगली प्रस्तुति के लिये कहानियों के चयन के विषय में लंबी बातचीत की। तीन रचनाओं (एक व्यंग्य और दो कहानियों) के मंचन के विषय में सभी की स्वीकृति है लेकिन रचनाओं के विषय में अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। बहुत से लोगों का छु्ट्टी पर होना इसका मुख्य कारण है। हालाँकि प्रस्तुति का दिन १६ सितंबर निश्चित हो गया है। आशा है यह प्रस्तुति रोचक रहेगी।

रविवार, 10 जुलाई 2011

८ जुलाई, मौलियर का बिच्छू

छुट्टियों के बावजूद इस बार चौपाल में रौनक रही। सबसे पहले डॉ. उपाध्याय आए, फिर राजन सभरवाल, मैं और प्रवीण थे ही, थोड़ी देर में प्रकाश सोनी भी आ गए।

कार्यक्रम के अनुसार मौलियर का नाटक बिच्छू पढ़ा गया। इसका मंचन किया जाना है या नहीं यह तय नहीं हुआ है लेकिन कुछ कहानियों के मंचन की बात सबके मन में है। शायद अगली चौपाल में यह बात पूरी तरह निश्चित हो जाय कि सितंबर के पहले सप्ताह में कहानियों को लेकर हम क्या और कहाँ करने वाले हैं।

हमेशा की तरह अदरक वाली भारतीय चाय के साथ चौपाल का समापन हुआ। बेशक इस बार चाय के साथ चीकू भी थे, बगीचे में लगा चीकू के पेड़ का मधुरतम उपहार !

शनिवार, 2 जुलाई 2011

१ जुलाई, छुट्टी का दिन

जून के अंतिम सप्ताह तक इमारात के सारे शिक्षा संस्थानों में छुट्टी का मौसम शुरू हो जाता है। छुट्टियाँ लंबी होती हैं दो महीने की। यह छुट्टी अलग अलग संस्थाओं में अलग अलग दिनों पर सितंबर के पहले सप्ताह समाप्त होगी। अधिकतर संस्थाएँ 3 सितंबर को खुलेंगी। स्वाभाविक ही है कि अधिकतर परिवार छुट्टियाँ मनाने अपने अपने देश चले गए हैं। हर ओर छुट्टी का आलम है ऐसे वातावरण में चौपाल की भी इस सप्ताह छुट्टी ही रही।

शनिवार, 25 जून 2011

२४ जून, नाटककार मिलिंद तिखे को भावभीनी श्रद्धांजलि

पिछले सप्ताह इमारात में बसे साहित्यकार और नाट्यकर्मी मिलिंद तिखे हमारे बीच नहीं रहे। वे पिछले कुछ दिनों से से अस्वस्थ थे। विगत २० जूम को उनका देहावसान हो गया।

१९५६ में जन्मे मिलिन्द जी ने अल्पावधि में ही जिस साहित्य की रचना की, उसमें इमारात की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की रोचक झलक देखी जा सकती है। इस सप्ताह की चौपाल दिवंगत मित्र को श्रद्धांजलित अर्पित करने के लिये जुटी। इस अवसर पर स्थायी सदस्यों के अतिरिक्त मिलिंद जी के अनेक आत्मीय, मित्र, सहयोगी एवं नाट्यकर्मी उपस्थित रहे। सभा के आरंभ में दो मिनट का मौन रखा गया, उनसे संबंधित भावभीने संस्मरण सुनाए गए और उनकी रचनाओं के संग्रह को प्रकाशित करने का संकल्प लिया गया। अंत में सबने उनके चित्र के साथ एक समूह फोटो खिंचवाया।

रविवार, 19 जून 2011

१७ जून, कुछ पुराना कुछ नया


साहित्य सत्र की गोष्ठी सुबह १० बजे प्रारंभ हुई। सबसे पहले मीरा ठाकुर और नागेश भोजने पधारे। मीरा ठाकुर और नागेश ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया साथ ही हाल ही में उनके द्वारा अभिनीत शरद जोशी के एक व्यंग्य के निरंतर पूर्वाभ्यास की बात भी हुई।

लगभग ११ बजे राजन सभरवाल गोष्ठी में शामिल हुए। बातचीत का प्रमुख विषय अभिनय के संबंध में उनके शोध- द मैजिकल मोमेंट्स की चर्चा, थियेटरवाला द्वारा मंचित नाटकों के विषय में जानकारी और भविष्य की परियोजनाएँ रहीं। राजन सभरवाल ने कविताओं और कहानियों के मंचन विशेष रूप से देवेन्द्र राज अंकुर के प्रयोगों के विषय में जानकारी दी। निर्देशक को अभिनेता पर कितना नियंत्रण रखना चाहिये और कितनी स्वतंत्रता देनी चाहिये इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई।

चाय पान के साथ लगभग साढे बारह बजे गोष्ठी का समापन हुआ। दाहिनी ओर के चित्र में बाएँ से- मीरा ठाकुर, राजन सभरवाल, नागेश भोजने और मैं। फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिये। अन्य सदस्य एक प्रदर्शन के पूर्वाभ्यास में व्यस्त होने के कारण अनुपस्थित रहे।

रविवार, 12 जून 2011

१० जून, फिल्मी गाने और कामदी


चौपाल में इस सप्ताह संगीत और नाटक पर आधारित एक कार्यक्रम का नाट्य आलेख पढ़ा गया। यह कार्यक्रम सृष्टि संगीत संस्था द्वारा किया जा रहा है। प्रस्तुति के नाट्य अंश प्रस्तुत कर रहे हैं-थियेटरवाला। हास्य व्यंग्य से भरपूर, रूमानी फिल्मी गानों वाली यह एक रोचक प्रस्तुति है। इस सप्ताह चौपाल में राजन सब्बरवाल की उपस्थिति विशेष महत्त्व वाली रही। अन्य सदस्यों में से डॉ. शैलेष उपाध्याय, सबीहा मझगाँवकर, सुमित गुप्ता, शुभजित, प्रकाश सोनी, सादिया नूरी और प्रवीण सक्सेना उपस्थित रहे। अफसोस कि उस दिन जो तस्वीरें ली गई थीं वे कैमरा खाली करते हुए गलती से मिट गईं। इसलिये इस बार केवल थियेटरवाला के लोगो से काम चलाना पड़ेगा। आशा है अगली बार से गलतियाँ नहीं होंगी।

शनिवार, 4 जून 2011

३ जून, छुट्टी का मौसम

पिछले सप्ताह वार्षिक समारोह के बाद इस चौपाल में छुट्टी का सा वातावरण रहा। उपस्थित सदस्य थे प्रकाश सोनी, डॉ. शैलेष उपाध्याय, सुमित, मीरा ठाकुर और मैं। प्रकाश और डॉ उपाध्याय दुबई के एक संगीत समूह के साथ मिलकर संगीत नाट्य संध्या में अभिनय करने वाले हैं। उसके विषय में कुछ बात हुई और एक कहानी भी पढ़ी गई। प्रवीण जी के अनुपस्थित होने से चित्र नहीं खिंच पाया। आशा है अगली चौपाल में कुछ ज्यादा रौनक रहेगी।

आज समय मिला सब फोटो ठीक से लगाने का सो फोटो में वार्षिकोत्सव विस्तार से




रविवार, 29 मई 2011

२७ मई, चौथा वार्षिकोत्सव

शुक्रवार चौपाल में इस सप्ताह चौथे वार्षिकोत्सव मनाया जाना था। शरद जोशी के व्यंग्य को समर्पित इस अवसर पर उनकी विभिन्न व्यंग्य रचनाओं का मंचन अथवा पाठ किया गया। कार्यक्रम के बाद केक काटा गया आर दोपहर का भोजन साथ किया गया। कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें यहाँ प्रस्तुत हैं।



शुक्रवार, 20 मई 2011

२० मई, वार्षिकोत्सव की तैयारी


आज का दिन वार्षिकोत्सव की तैयारी का था। इस आयोजन की तिथि २७ मई निश्चित हुई है। कुछ सदस्यों ने इसका अभ्यास चौपाल में किया और कुछ ने अपने अपने घरों में। इस बार निश्चय हुआ है एकल और जुगल प्रदर्शनों का। चौपाल में कुछ रचनाओं का पाठ भी हुआ- शरद जोशी का व्यंग्य- एक शंख कुतुबनुमा जिसका मंचन नागेश भोजने और मीरा ठाकुर करने वाले हैं। प्रकाश सोनी ने पढ़ी- यशपाल की कहानी- अखबार में नाम, हरिशंकर परसाईं का व्यंग्य सुमित गुप्ता ने पढ़ा- प्रेम की बिरादरी और ओ हेनरी की एक कहानी का हिंदी रूपांतर- छत पर का कमरा जिसे मीरा ठाकुर ने पढ़ा। मीरा के सौजन्य से आज सबको चाय के साथ हरी चटनी और पकौड़ों का अल्पाहार भी मिला। चित्र में- बाएँ से सुमित प्रकाश मैं नागेश मीरा और डॉ. उपाध्याय और श्री दिलीप परांजपे पकौडों के प्लेट सजाते हुए।

शुक्रवार, 13 मई 2011

१३ मई, यथासंभव, शरद जोशी के साथ


आज का दिन शरद जोशी के नाम रहा। चौपाल की शुरुआत सुस्त रही। सबीहा और प्रकाश के बाद धीरे धीरे लोग आने शुरू हुए। २७ मई को थियेटरवाला की स्थापना के ४ साल पूरे होने वाले हैं। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन होने वाला है। क्या विशेष होने वाला है यह अभी रहस्य बना के रखना है पर इस बार शरद जोशी के व्यंग्य संग्रह यथासंभव से ढेर से व्यंग्य लेखों का पाठ हुआ। आज उपस्थित लोगों में प्रकाश सोनी और सबीहा मझगाँवकर के साथ डॉ शैलेश उपाध्याय, दिलीप परांजपे, सुमित गुप्ता, मीरा ठाकुर, कौशिक साहा और नीरू थे। मैं और प्रवीण सक्सेना तो थे ही। चित्र में नीरू और कौशिक अनुपस्थित हैं। वे देर से पहुँचे थे।

रविवार, 8 मई 2011

६ मई, कविता, कहानी और नाटक

इस सप्ताह शुक्रवार चौपाल का आरंभ स्वरूपा राय के आगमन के साथ हुआ। इमारात के बच्चों को हिंदी पढ़ाने की समस्याओं से लेकर बात नई कहानियों तक पहुँची।

नाटक सत्र में सबसे पहले सबीहा पहुँचीं। बहुत दिनों के बाद अली भाई नजर आए फिर प्रकाश और सुमित भी आ गए। प्रकाश ने कुछ कविताएँ पढ़ीं और मैंने एक कहानी। २७ मई शुक्रवाल चौपाल का वार्षिकोत्सव का दिन है। तीन साल पहले इसी दिन पहली चौपाल लगी थी। इस अवसर पर सब कुछ न कुछ करने की तैयारी कर रहे हैं।

चित्र में बाएँ से प्रकाश अली भाई, सुमित, मैं और सबीहा। स्वरूपा कुछ पहले चली गई थीं इसलिये वे चित्र में नहीं दिखाई दे रहीं।

शनिवार, 30 अप्रैल 2011

२९ अप्रैल, आकाश की बेटी का दिन

चौपाल के साहित्य सत्र में स्वरूपा राय, मीरा ठाकुर और नागेश भोजने उपस्थित रहे। पिछले कुछ दिनों से इसमें हाइकु कार्यशालाएँ चलती रही हैं। मीरा अभी तक लगभग 100 हाइकु लिख चुकी हैं जबकि नागेश जी लगभग 30 और स्वरूप लगभग 10 हाइकु लिख चुके हैं। सबे अपने अपने हाइकु पढ़े और एक दूसरे के हाइकु के प्रति सुझाव भी दिये। नागेश भोजने ने अपनी दो मर्मस्पर्शी कविताओं का पाठ किया और अंत में सद्य प्रकाशित अभिव्यक्ति कथा महोत्सव 2002 की मुद्रित पुस्तक वतन से दूर में संकलित गौतम सचदेव की कहानी आकाश की बेटी का पाठ हुआ। नाटक सत्र में इस बार डॉ. उपाध्याय उपस्थित रहे, बाकी सदस्यों के अनुपस्थित रहने के कारण यह स्थगित रहा।

इस शुक्रवार हमें जल्दी में निकलना थो सो फोटो लेना रह गया। सोचा फोटो के बिना ही पोस्ट प्रकाशित कर दी जाय। लेकिन जब प्रकाशित हुई तब सूनी सूनी लग रही थी। फिर एक पुरानी फोटो निकाली जो पहले कभी प्रकाशित नहीं हुई थी उसे ही आज प्रकाशित कर रही हूँ। जाहिर है यह 29 अप्रैल को नहीं खींची गई।

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

२२. अप्रैल, मौसम का पहला गर्म दिन

इस बार नाटक सत्र की कार्यसूची में थीं- असगर वजाहत की कुछ लघुकथाएं और एक कहानी, फैज अहमद फैज के विषय में विश्वनाथ सचदेव का संस्मरण और आने वाली परियोजनाओं के संबंध में चर्चा।

साहित्य सत्र में मीरा ठाकुर की हाइकु साधना अच्छी चल रही है। लगता है कि साल पूरा होने से पहले उनका संग्रह पूरा हो जाएगा। नाटक सत्र का आरंभ बाहर बैठने से हुआ पर जल्दी ही सबको लगने लगा कि गर्मी बहुत ज्यादा है और दोपहर के बारह बजे बारामदे में बैठना सुखकर नहीं है। सो हम बोरिया बिस्तर समेटकर मंदिर में आगए। यह इस साल की पहली एसी गोष्ठी रही।

गोष्ठी में उपस्थित सदस्यों में से बाएँ से सबीहा मजगाँवकर, शुभजित, डॉ. उपाध्याय, मैं, मीरा ठाकुर और प्रकाश सोनी। यह फोटो बाहर बैठे हुए खींची गई थी। सुमित बाद में आया सो वह इसमें उपस्थित नहीं है।

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

१५ अप्रैल, मौसम का मज़ा

इस सप्ताह चौपाल के नाटक सत्र में खजूर से अटका की अलग अलग भूमिकाओं को कौन निभाएगा इसका निर्णय होना था। साथ ही इसके निर्माण के विषय में कुछ निर्णय लिये जाने थे। लेकिन किसी विशेष काम से अचानक प्रकाश के बाहर जाने के कारण काम आगे नहीं बढ़ सका। लोग धीरे धीरे पहुँचे पर उपस्थिति कम नहीं रही। हाँ साहित्य सत्र में मीरा ठाकुर की तबीयत ठीक न होने और नागेश भोजने व स्वरूपा राय की व्यस्तता के कारण सन्नाटा रहा।


हालाँकि काम कुछ विशेष नहीं हुआ पर मौसम सुहावना रहा। आसमान पर बादल छाए रहे और मनभावन हवा बहती रही। इस साल अप्रैल के महीने में पंद्रह साल में पहली बार वर्षा देखने को मिली है। लोगों का कहना है कि पिछले ७६ वर्षों से इमारात में अप्रैल के महीने में वर्षा नहीं देखी गई। लोग मौसम का आनंद ले रहे हैं और चौपाल भी आज बंदकमरे में एसी के शिकंजे से बाहर घास के मैदान पर जमी। चित्र में बाएँ से सुमित, कौशिक, डॉ. उपाध्याय, सबीहा, नीरू, मैं और प्रवीण सक्सेना।

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

७. अप्रैल, कुछ और कहानियों का पाठ


इस सप्ताह कार्यक्रम था उर्दू की कहानियाँ पढ़ने का। इसके साथ ही प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब के एक और प्रदर्शन के लिये पूर्वाभ्यास भी आरंभ करना था।

कुछ सदस्य एक फ़िल्म बनाने में लगे हैं। उन्हें भी कुछ विचार विमर्श करना था। इन सभी बातों के साथ इस बार की चौपाल जमी। सबसे पहले मीरा ठाकुर और नागेश भोजने पहुँचे। उनकी दो नई रचनाएँ पढ़ी जानी थीं।

धीरे नाटक सत्र के लोग आने लगे। सबसे पहले प्रकाश सोनी पहुँचे, फिर डॉ. उपाध्याय, उसके बाद कौशिक नीरू, सुमित, आमिर, सिरीन आदि पहुँचे। ऊपर के चित्र में बाएँ से डॉ उपाध्याय, कौशिक, सिरीन, नीरू, मीरा, पीछे छुपे हुए नागेश भोजने और प्रकाश।

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

१ अप्रैल, अमृता प्रीतम की कहानियाँ


इस सप्ताह कार्यक्रम था अमृता प्रीतम की कहानियों का। कुल मिलाकर उनकी छह कहानियाँ पढ़ी गईं। बृहस्पतिवार का वृत, और नदी बहती रही, यह कहानी नहीं, साहिबाँ आई थी, माँ शारदा और कुदरत की करवटें। आनेवालों में सबसे पहले पहुँची मीरा ठाकुर जो अपने ताजे लिखे १९ हाइकु सबके साथ बाँटे, उसके बाद पहुँचे प्रकाश सोनी और डॉ. उपाध्याय। कहानी पाठ आरंभ किया प्रकाश ने फिर मीरा ने दूसरी कहानी पढ़ी। इस बीच नीरू और सुनील पहुँच गए। सबसे बाद में कौशिक पहुँचे। बाकी कहानियाँ डॉ. उपाध्याय, नीरू, कौशिक और सुनील ने पढ़ीं।

सुनील ने भारत में भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी के विरोध में लाए जाने वाले लोकपाल विधेयक और उसके समर्थन में अन्ना हजारे द्वारा ५ अप्रैल को आमरण अनशन के विषय में जानकारी दी। अनेक साथियो ने निश्चय किया है कि वे भी ५ अप्रैल को उनके समर्थन में उपवास और प्रार्थना में रहेंगे। चित्र में बाएँ से डॉ. उपाध्याय, नीरू, मीरा ठाकुर, सुनील जसूजा और प्रकाश सोनी। जिस समय फोटो लिया गया मैं चाय बनाने गई थी, कौशिक तब तक पहुँचे नहीं थे और फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिये इसलिये ये तीनों चित्र में नदारद हैं।

शनिवार, 26 मार्च 2011

२५ मार्च, मोपासां की कहानियाँ


इस बार चौपाल में में मोपासां की तीन कहानियाँ पढ़ी जानी थीं। हीरों का हार, बेकार सौंदर्य और एक राज काज। इस चौपाल के पहले और बाद "खजूर में अटका" के पात्रों की चयन प्रक्रिया के लिये दो गोष्ठियाँ सप्ताह के बीच में होनी है। शायद इसलिये सदस्य कुछ देर से पहुँचे। सबके आने पर कहानियों का पाठ हुआ, चाय पी गई, शुभोजित ने दुबई में भारतीय संगीत से संबंधित एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसके संबंध में स्थानीय रेडियो पर उनका एक साक्षात्कार प्रसारित हुआ था उसकी रेकार्डिंग सुनी और बहुत दिनों बाद कुछ राजनीति चर्चा भी हुई।

इस साल छत पर हरे रंग की चादरें लगी हैं इसलिये कितना भी करेक्शन करो फोटो हरी ही बनी रहती है। मौसम गरम होने लगा है शायद अधिक से अधिक एक और चौपाल बाहर हो सकेगी। फिर हम अंदर ही बैठेंगे।

चित्र में बाएँ से- प्रकाश सोनी कहानी पढ़ते हुए, डॉ. उपाध्याय, शुभोजित, सुमित और मैं। फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिया।

शनिवार, 19 मार्च 2011

१८ मार्च, होली का दिन

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शुक्रवार चौपाल में इस सप्ताह पर्व की गुनगुनाहट रही। साहित्य सत्र में सुबह नागेश भोजने और मीरा ठाकुर पहुँचे। दोनो ने होली पर हाइकु लिखकर दिन का शुभारंभ किया।

नाट्य सत्र में सबसे पहले पहुँचने वालों में थे सबीहा और डाक्टर उपाध्याय। फिर प्रकाश और आमिर पहुँचे। धीरे धीरे कौशिक, नीरू, सुमित, नीलेश और समीर भी आ गए। कार्यक्रम का प्रारंभ गोपाल प्रसाद व्यास की हास्य कविताओं से हुआ। फिर मैंने अपनी कविता सुनाई रंग और फिर मीरा और नागेश जी ने अपने अपने हाइकु सुनाए।

मीरा काजूकतली का एक डिब्बा लेकर आई थीं। साथ ही था एक डिब्बी में लाल गुलाल। संभ्रांत सी होली गुलाल के साथ हो गई। और चाय के साथ मिठाई नमकीन के साथ चौपाल पूरी हुई। दाहिनी ओर चित्र में बाएँ से नीरू, सबीहा, डॉ. उपाध्याय, आमिर, समीर, सुमित, पीछे की ओर छुपे हए नागेश भोजने, नीलेश, कौशिक और प्रकाश।

शनिवार, 5 मार्च 2011

४ मार्च, एक अनूठी प्रेम कहानी का दूसरा अंक

इस सप्ताह चौपाल में प्रेमचंद गाँधी के नाटक एक अनूठी प्रेम कहानी का दूसरा भाग पढ़ा जाना था। मालूम नहीं इस बार क्यों थियेटरवाला की कार्यक्रम सूचना वाली ईमेल नहीं पहुँची। साहित्य सत्र के कुछ प्रमुख सदस्य भारत गए हुए हैं, लगा था कि वह सत्र स्थगित हो जाएगा। हालाँकि नीता सोनी का फोन आया था, वे आने का समय निकाल सकी थीं, लेकिन फिर यही तय हुआ कि हम अगली बार मिलें। मैं भी आराम से अभिव्यक्ति का कुछ काम निबटाने बैठी थी कि प्रकाश सोनी, डा. शैलेष उपाध्याय और शुभजित आ पहुँचे। फिर तो जम गई चौपाल। थोड़ी देर में सबीहा और सु्प्रीत भी आ पहुँचे। नाट्यपाठ शानदार रहा। २३ मई को थियेटरवाला का स्थापना दिवस है। इसके उपलक्ष्य में एक नाटक और रात्रिभोज के कार्यक्रम का विचार है। इस अवसर पर कौन सा नाटक खेला जाए इस पर निर्णय अभी नहीं लिया गया है पर हो सकता है कि अनूठी प्रेम कहानी ही आकार ले। चित्र में बाएँ से शुभजीत, मैं, सबीहा, सुप्रीत (खड़े होकर पढ़ते हुए, प्रकाश सोनी और डॉ. उपाध्याय। चित्र प्रवीण सक्सेना ने लिया।

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

१८ फरवरी, प्रेमचंद गांधी की 'एक अनूठी प्रेम कहानी'


साहित्य सत्र के सदस्य इस बार व्यस्त रहे। नाटक सत्र में जयपुर के कवि और रंगकर्मी प्रेमचंद गांधी का नाटक एक अनूठी प्रेम कहानी का नाट्य पाठ हुआ। इस नाटक की मूल कथा हरिशंकर परसाईं की रचना राजकुमारी नागफनी की कहानी पर आधारित है। समय कम होने के कारण एक अंक का पाठ ही हो सका पर इसके हास्य व्यंग्य ने सबका भरपूर मनोरंजन किया। नाटक सबको पसंद आया है। इसके मंचन के विषय में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। आज की चौपाल में उपस्थित रहे- चित्र में बाएं से सुमित, प्रकाश सोनी, गीतू, , सबीहा, मैं, डॉ. शैलेष उपाध्याय और शुभजीत। चित्र प्रवीण सक्सेना ने लिया। गीतू द्वारा लाए गए डोनट्स चाय के साथ मजेदार रहे।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

४. फरवरी, ज्ञान प्रकाश विवेक की गवर्नेस


कुछ दिनों से मौसम बदला बदला सा है। आसमान में बादल हैं और कभी धूप तो कभी साया लगातार बनी हुई है। कल रुक रुक कर हल्की बारिश हुई। हवा में ठंड थी इसलिये चौपाल का प्रारंभ घर के भीतर से हुआ। सबसे पहले मीरा ठाकुर आईं हमने यूएई की हिंदी कविता के कुछ विशेष बिंदुओं पर बात की। दस मिनट में स्वरूपा राय भी आ गईं। स्वरूपा के लैपटाप पर हिंदी ठीक से काम नहीं कर रही। रीजनल भाषा विकल्प में जाकर हिंदी एक्टिवेट होने के बाद भी फाइल में डब्बे ही नजर आते रहे, अक्षर टाइप नहीं हुए। उन्होंने शाम को किसी विशेषज्ञ से समय ले लिया इसकी देखभाल का। पत्र लेखन और मुहावरों के विषय में चर्चा हुई।

इस बीच डॉ उपाध्याय आ गए थे। वे बाहर बैठे, धूप तेज निकल आई थी और हम लोग बाहर ज्ञान प्रकाश विवेक की कहानी गवर्नेस का पाठ करने बैठे। इतने में ही सुमित और बहुत दिनों के बाद अली भाई भी आ गए। कहानी अली भाई ने पढ़नी शुरू की, कहानी को अंतिम आधा भाग। डॉ. उपाध्याय ने पढ़ा। कहानी की कुछ ऐसा असर हुआ कि कुछ फिल्मों की ओर बात चल पड़ी। गुजारिश और तेरी सूरत मेरी आँखें। चाय पीकर सबने विदा ली। चित्र में बाएँ से अली भाई, डा. उपाध्याय, स्वरूपा राय, मैं और मीरा ठाकुर।

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

२८ जनवरी, गणतंत्र दिवस का दिन



आज की चौपाल में गणतंत्र दिवस मनाना निश्चित हुआ था। साहित्य सत्र में सबसे पहले पहुँचे दिगंबर नस्वा और उनकी पत्नी अनीता, फिर नागेश भोजने मीरा ठाकुर, प्रकाश सोनी, शुभजीत और सुप्रीत भी आ गए। कार्यक्रम का शुभारंभ मीरा ठाकुर की कविताओं से हुआ फिर नागेश भोजने ने कुछ कविताएँ पढ़ीं और उसके बाद दिगंबर जी ने। दिगंबर नस्वा जी की रचनाओं में देशभक्ति के गीतों के साथ हास्य व्यंग्य की छंदमुक्त रचनाओं और जीवन से संबंधित गजल के रंग भी देखने को मिले। मेरे कविता पाठ के बाद प्रकाश ने शरद जोशी का एक व्यंग्य पढ़ा। चाय के बाद दूसरे सत्र में प्रकाश शुभजीत और सुमित ने परमानंद गजवी के नाटक गाँधी-अंबेडकर का नाट्य पाठ किया।