
सुबह का पहला साहित्य सत्र बहुत दिनों बाद अच्छा रहा। नागेश भोजने और मीरा ठाकुर की कुछ नई कविताओं का पाठ हुआ। कुछ स्वरचित कविताएँ राजन सभवाल ने भी सुनाईं। निदा साहब की कुछ ग़ज़लें, एक लेख और कुछ छंदमुक्त कविताएँ पढ़ी गईं। ग़जलें और नज्में अली भाई और राजन सभरवाल ने मिलकर पढ़ीं। लेख मीरा ठाकुर और नागेश भोजने ने पढ़ा।
कुछ पुराने साथियों से मिलने का सौभाग्य मिला। संजय ग्रोवर और क्रिस्टोफ़र साहब से बहुत दिनों बाद मिलना हुआ। उन्होंने नाटक का एक दृश्य पढ़ा। नागेश भोजने ने कुछ पाठ अभ्यास किया और सिद्धार्थ ठाकुर ने राजन जी के साथ एक साक्षात्कार के लिये फोटो खिंचवाए। हिंदुस्तानी चाय पी गई और थोड़ी बातचीत के बाद चौपाल संपूर्ण हुई। आज उपस्थित सदस्यों में थे- नागेश भोजने, मीरा ठाकुर, राजन सभरवाल, क्रिस्टोफर जी, संजय ग्रोवर, अली भाई और मैं और कुछ देर के लिये प्रवीण सक्सेना। फोटो खींचने की किसी को याद नहीं रही इसलिेये इस बार फोटो गायब है। मगर बिना चित्र के भी कहीं ब्लॉग पोस्ट होती है सो एक चित्र का मजा लें... हम सब ऐसे नहीं दिखते पर जो ऐसे दिखते हैं वे भी अच्छे लगते हैं। :)
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