शनिवार, 23 अप्रैल 2011

२२. अप्रैल, मौसम का पहला गर्म दिन

इस बार नाटक सत्र की कार्यसूची में थीं- असगर वजाहत की कुछ लघुकथाएं और एक कहानी, फैज अहमद फैज के विषय में विश्वनाथ सचदेव का संस्मरण और आने वाली परियोजनाओं के संबंध में चर्चा।

साहित्य सत्र में मीरा ठाकुर की हाइकु साधना अच्छी चल रही है। लगता है कि साल पूरा होने से पहले उनका संग्रह पूरा हो जाएगा। नाटक सत्र का आरंभ बाहर बैठने से हुआ पर जल्दी ही सबको लगने लगा कि गर्मी बहुत ज्यादा है और दोपहर के बारह बजे बारामदे में बैठना सुखकर नहीं है। सो हम बोरिया बिस्तर समेटकर मंदिर में आगए। यह इस साल की पहली एसी गोष्ठी रही।

गोष्ठी में उपस्थित सदस्यों में से बाएँ से सबीहा मजगाँवकर, शुभजित, डॉ. उपाध्याय, मैं, मीरा ठाकुर और प्रकाश सोनी। यह फोटो बाहर बैठे हुए खींची गई थी। सुमित बाद में आया सो वह इसमें उपस्थित नहीं है।

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