शनिवार, 12 सितंबर 2009

११ सितंबर, तैयारियाँ हिंदी दिवस की


इस बार चौपाल का विशेष कार्यक्रम आगामी नाटक का रिहर्सल रहा। दरअसल यह नाटक नहीं है बल्कि कामतानाथ की कहानी संक्रमण का मंचन है। कहानी में कोई परिवर्तन या नाट्य रूपांतर नहीं किया गया है। ज़रूर मंचन की दृष्टि से मंच सज्जा की गई है और पत्रों को अभिनय और संचालन दिए गये है। प्रकाश और ध्वनि की व्यवस्था भी की गई है। यह मंचन हिंदी दिवस के अवसर पर इंडियन हाई स्कूल और भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में होना है। नाटक लगभग तैयार है। कुछ परिवर्तनों के साथ इसे प्रस्तुत किया जाना है। भूमिकाओं में भी परिवर्तन हुए हैं। सब कुछ मिलाकर रिहर्सल अच्छा रहा। सबको संवाद और मूवमेंट्स याद थे। पिता की भूमिका में हैं डॉ. शैलेष उपाध्याय, पुत्र की भूमिका में हैं कौशिक साहा और माँ की भूमिका सबीहा निभा रही हैं। निर्देशन प्रकाश सोनी का है। साथ के चित्र में वे सबीहा को कुछ समझाते हुए।

आज की चौपाल कुछ देर से शुरू हुई थी- प्रकाश और कौशिक की प्रतीक्षा में। प्रकाश बूँदी के लड्डू लाए थे। मन्नत मुंबई से शारजाह आ गई है, इसी खुशी में। कौशिक ने कहा सिर्फ मिठाई से काम नहीं चलेगा। तो इस बार चाय के साथ मिठाई और नमकीन भी रहे। ऐसे मौके रोज़ तो नहीं आते। सबीहा ने बताया बिमान दा भी दुबई लौट आए हैं। काफ़ी लोग अभी भी देश विदेश घूम रहे हैं। आज की चौपाल में थे डॉ. उपाध्याय, प्रकाश सोनी, कौशिक साहा, सबीहा मजगाँवकर और मैं। लगता है ईद तक कम लोग ही आएँगे चौपाल में। देखते हैँ अगली बार कैसा रहता है। आशा रखें 15 सितंबर का कार्यक्रम अच्छा रहे।

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