
सभी समूह इस बात पर एक मत थे कि इस तरह से प्रयोग सफल हो सकते हैं। मिलकर नाटक किए जाएं तो डेढ़-डेढ़ घंटे के दो नाटक ठीक रहेंगे। कुछ का मत था कि 40-45 मिनट के तीन एकांकी या कहानियाँ करना भी ठीक रहेगा जबकि कुछ ने तीन एकांकियों या कहानियों के प्रति सहमति नहीं दिखाई उनका कहना था कि स्टेज सजाने में समय लगता है और दो अंतराल कार्यक्रम के लिए ठीक नहीं रहेंगे। कुछ का कहना था कि संयुक्त कार्यक्रम में से एक हल्का फुल्का और दूसरा गंभीर नाटक होना चाहिए जबकि कुछ का विचार था कि दोनो नाटक एक ही मूड के हों तो अधिक अच्छा होगा। क्या अगला नाटक नवंबर में खेला जा सकता है? क्या दिसंबर और जनवरी में मंच प्रस्तुति के लिए हमारे पास कुछ है इस संभावना की भी खोज हुई।
दुबई मेल इस बार भी नहीं आई। शायद अगली भेंट हो। बिमान दा वापस इमारात लौट आए हैं इस बात की भी सूचना मिली। वे इस बार शारजाह में नहीं दुबई में रह रहे हैं। प्रकाश भी अपनी नई नौकरी बदलने के बाद दुबई स्थानांतरित हो गए हैं। कुल मिलाकर यह कि चौपाल के अधिकतर सदस्य अब दुबई में हैं और शारजाह में अब कम लोग ही रह गए हैं। आज उपस्थित लोगों में थे चित्र में बाएँ से प्रकाश, सबीहा, मेनका, आमिर रिजवी साहब, दिलीप परांजपे, मीर, मूफ़ी और इरफ़ान। बहुत दिनों बाद मिले तो सब बदले बदले लग रहे थे। सबीहा काफी दुबली लगीं, दिलीप साहब ने नया विग बनवाया है जबकि मीर और इरफान ने अपने सिर के बाल मुंडवा रखे थे।