रविवार, 11 अक्तूबर 2009

९ अक्तूबर, जमघट अली भाई के घर पर

शुक्रवार चौपाल इस बार अली भाई के घर पर लगी। सबीहा का फोन जिसमें निज़ाम का नंबर था दगा दे गया। इस लिए फोटो नहीं खिंची और निज़ाम से संपर्क न होने के कारण चौपाल सहज मंदिर में नहीं लग सकी, जहाँ वह हमेशा लगती है। प्रकाश अपना घर बदल रहे हैं अतः वे भी अनुपस्थित रहे। 3 अक्तूबर को मंचित लियो आर्ट्स के नाटक "जिस लाहौर..." के विषय में बात हुई और 'खिलजी के दाँत' नाटक पढ़ा गया। अली भाई के अतिरिक्त इस चौपाल में डॉ. उपाध्याय, और सबीहा उपस्थित थे। साढ़े ग्यारह तक मोहित और मेनका भी पहुँच गए। मोहित इस चौपाल के नये सदस्य हैं। दोपहर के लगभग एक बजे चौपाल समाप्त हुई।

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