रविवार, 15 नवंबर 2009

१३ नवंबर और तीन कहानियाँ


आज की चौपाल में तीन अनूदित कहानियों के पाठ का कार्यक्रम था। वर्षा अडलाज़ा की गुजराती कहानी का हिंदी रूपांतर 'चाँद के उजाले में', जिसे डॉ. लता ने पढ़ा, अमर जलील की सिंधी कहानी का हिंदी रूपांतर 'तारीख का कफ़न' जिसे डॉ. उपाध्याय ने पढ़ा और शांताराम सोमयाजी की कन्नड़ कहानी 'पानी पर चलनेवाला' जिसे प्रकाश सोनी ने पढ़ा। उपस्थित लोगों में थे- डॉ लता, डॉ उपाध्याय, प्रकाश सोनी, मैं, प्रवीन और मेनका।

साहित्य पाठ में रुचि रखनेवाले सदस्य कम ही हैं। फिर आजकल मौसम भी सुहावना हो चला है, सारे दिन ट्रैकिंग और सैर सपाटे का मौसम इमारात में लंबा नहीं होता। इसलिए सुहावने मौसम को छोड़कर साहित्य पढ़ने के लिए आना तब तक संभव नहीं जबतक इसमें गहरी रुचि न हो। चौपाल के अनेक सदस्य एक ट्रैकिंग समूह से जुड़े हैं। आज का उनका दिन यहाँ अनुपस्थिति का रहा। मौसम की मेहरबानी के कारण हम भी सहज मंदिर की बजाय बाहर लॉन के सामने बने बरामदे में बैठे। चित्र में बाएँ से मेनका, डॉ.लता, मैं, प्रकाश सोनी और डॉ.उपाध्याय। फोटो प्रवीण सक्सेना ने लिया।

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