शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

९ अप्रैल, आँसू और मुस्कान

चौपाल में इस सप्ताह पढ़ा गया वसंत कानेटकर द्वारा लिखित, पी.एल. मयेकर द्वारा नाट्य रूपांतरित तथा डा. शैलेष उपाध्याय द्वारा मराठी से हिंदी में अनूदित नाटक आँसू और मुस्कान। मौसम गर्म हो चला है। दोपहर ग्यारह बजे इतनी गर्मी थी कि हम चाहते हुए भी बाहर बिना एसी के नहीं बैठ सके। जहाँ सहज मंदिर में चौपाल लगती है वहाँ के तीनों एसी सफ़ाई और सर्विसिंग में लगे थे सो हम घर में खाने की मेज़ पर पाठ के लिए बैठे। आज उपस्थित लोगों में थे- डॉ. शैलेष उपाध्याय, सबीहा मजगाँवकर, प्रकाश सोनी, कौशिक साहा, और एक नये सदस्य नीलेश पाटिल। प्रवीण जी सफ़ाई और एसी कर्मचारियों के साथ कुछ अधिक व्यस्त थे इस कारण इस बार चित्र लेना रह गया।

1 टिप्पणी: