रविवार, 24 मई 2009

२२ मई, दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में


आज का दिन कार्यशाला का दिन था। यानी सबको मिलकर कुछ रंगमंच पाठों को पढ़ना सीखना और दोहराना था। पाठ-अभिनय के, आवाज़ के और चेष्टाओं के। आज उपस्थिति कम रही, इसलिए कार्यशाला का विचार त्याग दिया गया। इस सप्ताह २५ मई को चौपाल के २ साल पूरे हो रहे हैं। पिछले साल एक साल पूरे होने पर हमने पहला मंच प्रदर्शन किया था। इस बार हम क्या करेंगे? सारी बात इसी पर केंद्रित रही।

अंत में तय यह हुआ कि अगले शुक्रवार चौपाल नहीं लगेगी। इसके स्थान पर शाम को एक पार्टी का आयोजन किया गया है जिसमें सारे अभिनेता /अभिनेत्री अपने अपने किसी चरित्र की वेशभूषा में पधारेंगे और उसी में रहने का प्रयत्न करेंगे। रात्रि भोज तो होगा पर शाम साढ़े सात से साढ़े दस तक के लंबे समय में लोग नाटक के चरित्र में कितनी देर रह पाते हैं यह देखना रोचक रहेगा। फोटो में बाएँ से- मेनका, सबीहा, रागिनी, कल्याण, प्रकाश, कौशिक, दिलीप परांजपे,सुनील, अश्विन और मैं।

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