रविवार, 28 फ़रवरी 2010

२६ फरवरी, मुसंदम की सैर

चौपाल में आज का दिन वार्षिक सैर पर मुसंदम जाने का था। फारस की खाड़ी में स्थित इस अंतरीप पर जाने का कार्यक्रम पिछले एक महीने से चल रहा था। शुक्रवार की सुबह मुसंदम के लिए निकलना था और शनिवार की सुबह लौटना था। हालाँकि यह स्थान दुबई से ज्यादा दूर नहीं पर सीमा पार ओमान देश में स्थित होने के कारण पासपोर्ट साथ रखना होता है। मुसंदम तक दुबई से 3 घंटे की ड्राइव इमारात की सबसे सुंदर ड्राइवों में से एक है। लंबे रास्ते में एक ओर सागर तो दूसरी ओर पहाड़ों का साथ सुहावने मौसम को और भी सुखद बनाता हैं। चित्र में दाहिनी ओर इसका एक दृश्य देखा जा सकता है।

मुसंदम का विशेष आकर्षण नौका विहार है। इन्हें डॉल्फिन क्रूज के नाम से भी जाना जाता है। सजी धजी सुविधा संपन्न इन नौकाओं में सैर करते हुए सागर पर कलाबाजियाँ लगाती डाल्फिन मछलियाँ देखने, गोता लगाने और समुद्रतट पर सुस्ताने, खाना पकाने और खाने के सुरक्षित प्रबंध यहाँ की सैर को रोचक बनाते हैं। यह स्थान रोमांचक पर्यटन के शौकीन लोगों में भी बहुत लोकप्रिय है। मछली मारने, गोता लगाने, नौकायन और मोटरबोट तथा वाटर स्कूटर के शौकीन लोग यहाँ सर्दियों में अच्छा समय बिता सकते है। चौपाल के सभी सदस्य इस सैर में शामिल नहीं हो सके थे पर जो लोग शामिल हुए उन्होंने कैसे समय बिताया इसकी खबर रखी है सबीहा के कैमरे ने यहाँ पर।

पाठकों को याद होगा कि हमने एक लेखन कार्यशाला आयोजित की थी इसमें सर्वश्रेष्ठ चुनी गई दो रचनाओं में से डॉ शैलेष उपाध्याय की रचना को यहाँ और अविनाश वाचस्पति की रचना को यहाँ पढ़ा जा सकता है।

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