शनिवार, 24 जनवरी 2009

२३ जनवरी, सर्दियों में पिकनिक


पिछले कुछ दिनों से मौसम का मिज़ाज ठीक नहीं रहा है। शुक्रवार को भी हवा तेज़ और ठंडी थी ऊपर से समंदर का किनारा। सर्दियों के मज़े लेते शुक्रवार चौपाल के सदस्य, उनके मित्र और परिवार ममज़ार पार्क पहुँचे और एक बार्बेक्यू चूल्हे को कब्ज़े में कर के उसके आसपास अड्डा जमाया। चटाइयाँ बिछा दी गई और खाने-पीने की चीज़ें निकाल ली गईं। बच्चों ने खेलना शुरू कर दिया और परिवार व मित्र एक दूसरे के परिचय में लग गए।

दूर पर लगे किसी फ़िलिपिनो समूह के टेंट से गिटार का संगीत वातावरण में घुल रहा था तो दूसरी ओर किसी अरबी समूह का लाव लश्कर कुर्सी मेज़ और गार्डेन अम्ब्रैला के साए तले अपना साम्राज्य जमाए था। पिकनिक है तो क्या रिहर्सल नहीं होगा? जलूस के निर्देशक बिमान दा भारत की यात्रा पर हैं। उनकी अनुपस्थिति में बच्चों की क्लास ले रहे हैं अली भाई। शुरू का हिस्सा लगभग तैयार है पर उसका भी रिहर्सल तो होना है ना? बाकायदा रिहर्सल हुआ और अंतिम दृश्यों की रीडिंग भी। चित्र में नाटक के प्रति समूह की लगन देखी जा सकती है। कैसे मनोयोग से सब आपना अपना पाठ सामने रखे, पढ़ने में लगे हैं। लगे रहो बच्चों, मेहनत का फल मीठा होता है।

पिकनिक के समय खाने पीने और मौज मस्ती की कमी नहीं पर जबतक गरम गरम कवाब और टिक्के न हों बार्बेक्यू का मज़ा नहीं, सो सुलग चला चूल्हा और रसोई में उस्ताद महिला मंडली ने संभाल लिया मोर्चा। कभी किसी अभिनेत्री को खाना पकाते देखा है? नहीं देखा न? तो फिर देखिए देखिए ये अभिनेत्रियाँ किस शौक से सीक पर कवाब का मसाला लपेट रही हैं और किस मनोयोग से टिक्के सेंक रही हैं। देखो! देखो! वह सीक पलटो टिक्का कहीं जल न जाए! भई, महिलाओं के बिना कही ढंग का खाना पकता है!

खाने के साथ साथ बहुत कुछ और भी पकता रहा... अपना बल्लभपुर का संजीव है ना जो आजकल बाहरीन में हैं, वह बहुत दिनो बाद इस पिकनिक पर दिखा और चूल्हे के पास जमा रहा... प्रकाश जापानी पंखे से देर तक अरबी शोलों को हवा देता रहा, आमिर का लाल झोला हर फ़ोटो में हीरो की तरह चमकता रहा... अली भाई के जूते साँवली सलोनी रेत को रंगीनी का पाठ पढ़ाते रहे... और डॉ.साहब अंत तक पानी के डब्बे की सेहत को संभालते रहे...। कुल मिलाकर बहुत ऐश हो गई... दोपहर ढलने को आई, चलो पकाने वालों तुम भी कुछ खा लो... और सब मिल बैठे खाने के अंतिम दौर में जो गरमागरम संवादों और ठंडी हवा के साथ देर तक चलता रहा।

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